कारक ( नागपुरी व्याकरण ),NAGPURI LANGUAGE,nagpuri bhasha or vyakaran,karak vyakaran,Nagpuri vyakaran ka PDF,Nagpuri Bhasha or Vyakaran Notes,Nagpuri language and literature pdf, Nagpuri language book for jpsc, Nagpuri language book for jssc cgl, Nagpuri language book for jtet, Nagpuri language book for jac ,nagpuri grammer,Nagpuri language book Pdf, नागपुरी भाषा की किताब, नागपुरी भाषा कैसे सिखे, नागपुरी लोक साहित्य book, नागपुरी व्याकरण, नागपुरी भाषा का अर्थ , Nagpuri language question and answer, Nagpuri language script, Nagpuri language words, Nagpuri language poem, Nagpuri language translation,
परिभासा – संज्ञा चाहे सर्वनाम केआर जोन रूप से वाक्य कर दोसर सबद संगे सम्बंध पता चले उके कारक कहल जायेला ।नागपुरियों में हिन्दी लखे कारक होवेला लेकिन इकर परयोग(प्रयोग)आउर चिन्हा में कटिक फरक भेटायला कहेक माने नागपुरी में कय धाँव कारक कर चिन्ह लोप होय जायेला । कर्ता आउर कर्म कारक में ई बगरा भेटायला । कय ठो कारक कर चिन्हा बदइल जायेला ।एकेक कइर के कारक उपरे बिचार करल जायहे ।
कारक कर भेद –
कर्ता कारक – 0
कर्म कारक – कें
करन कारक – से,सँय
संप्रदान कारक – लागिन,लाइ,ले,के
अपादान कारक – ले,से
सम्बंध कारक – क,कर,केर
अधिकरन कारक – ए, में,उपरे
सम्बोधन कारक – ए,रे,हो,अरे
कर्ता कारक
क्रिया से सूचित हावेक वाला बेपार (व्यापार) जे करेला उके कर्ता कारक कहल जायेला ।
नागपुरी में कर्ता कारक ‘ने’ ले कोनो चिन्ह नि भेटायला कहेक चाही नागपुरी में कर्ता कर चिन्ह नि होवेला ।
जइसे – हाम रोटी खाली ।
जतरु गछ चघलक ।
हियाँ हिन्दी लखे ‘ने’ चिन्हा कर परयोग (प्रयोग) नि होवेला ।
कर्म कारक –
वाक्य में जेकर ऊपरे क्रिया इया काम कर फल पड़ेला उके कर्म कारक कहयँना ।
जइसे – फेकु गोलु के मारलक ।
यहाँ फेकु मारेक क्रिया करेला जेकर फल गोलु के मिलेला । कर्म कारक कर चिन्हा ‘के’ हेके ।
करन कारक –
वाक्य में से सबद काम पूरा करेक में मदइत करेला उके करन कारक कहयँना ।
चाहे
क्रिया कर निष्पति ले कर्ता जे बस्तु कर मदइत लेवेला जे बस्तु के साधन बनायला उके करन कारक कहल जायेला । इकर चिन्हा ‘से’ होवेला ।
जइसे – रिझु टांगा से गाछ कटेला ।
बाबू दांथ से चाबेला ।
संप्रदान कारक –
वाक्य में जेकर ले काम होतहे उके संप्रदान कारक कहल जायेला । इकर चिन्हा ‘के’ ‘ले’ ‘लागिन’ ‘लाई’ ‘खातिर’ हेके ।
जइसे – मँइया ले फँराक किनली ।
तोर लागिन जीव दे देवब ।
अपादान कारक –
वाक्य में जेकर से कोनो वस्तु के अलग, (जुदा) होवेक बोध होवेला उके अपादान कारक कहल जायेला । इकर में टूटेक ,छूटेक,दूर होवेक भाव
भेटायला । इकर चिन्हा ‘ले’ ‘से’ हेके ।
जइसे – गछ ले कठर गिरलक ।
सम्बंध कारक –
क्रिया से जेकर सम्बन्ध जानल जायला ऊ संज्ञा चाहे सर्वनाम के सम्बन्ध कारक कहल जायेला । इकर चिन्हा – क,कर,केर हेके । केर के परयोग (प्रयोग) संज्ञा संगे करल जायला । आइज कइल इकर कम परयोग (प्रयोग) करल जायला । कर का परयोग (प्रयोग) संज्ञा आउर सर्वनाम दूइयो संगे होवेला ।
जइसे – मंत्री केर बेटा पढ़बे नी करलक ।
अधिकरन कारक –
जहाँ क्रिया/काम होवेला चाहे जे क्रिया चाहे काम करेक वाला संज्ञा इया
सर्वनाम कर स्वरूप के अधिकरन कारक कहल जायेला । नागपुरी में अधिकरन कारक में बेसी कइर के एकारान्त बेवहर करल जायेला । इकर
चिन्ह ‘में’ ‘ए’ हेके ।
जइसे – बाघ माड़ा में ढुकलक ।
बाबु चौकिये में हय ।
बाबा घारे हँय ।
सम्बोधन कारक –
जेकर से कोनो सम्बोधन कर बोध होवे उके सम्बोधन कारक कहल जायेला । इकर चिन्ह ‘ए’,’रे’,’हो’,’अरे’ हेके । नागपुरी में सम्बोधन कारक
कर परयोग (प्रयोग) बहुते भेटायला । रोज दिन कर बोल-चाल में घरी- घरी इकार परयोग (प्रयोग) होवेला ।
जइसे – रे ! छोड़ा बदमासी ना कर ।
ए ! छोड़ी घर जा ।