कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण समका (समास)

कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण समका (समास) |kurukh grammar samaka (samaas)|kudukh bhasha vyakaran samaka (samaas)

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समका घी मने समसारका । समका ही सहड़ा ती जुक्की बकतिम बग्गे कत्थन बआ ओंग्गतारई एंड़ मलता बग्गे बकपोर ( पद ) घी तंगआ ननतुअद चिन्हन अम्बर ओंटम मन्ना समका बार ‘ ई । ( समास का अर्थ है – संक्षेपण । )   समास की सहायता  से थोड़े शब्दों में अधिक बातें कही जा सकती है । दो या अधिक पदों  का अपने विभक्ति  चिन्हों को छोड़कर  एक पद हो  जाना समास कहलाता है ।)

एकासे का :-

एकासे :- (i) चिच्च्चें-प = चिच्च् घी चें-प

        (ii)  ख़ाड़ओट्टा = खाड़ ही ओट्टा

        (ii) जों- ख़ेड़पा = जों-ख़र घी एड़पा

        (iv) बें-लख़द्द =  = बे-लस घी ख़द्द 

        (v) टट्ख़आमन्न =मन्न नू टटूख़आ

        (vi) पच्चो पच्चगी = पच्चों घी पच्चगीस       

इसन चिच्च अरा चें-प एँड़ बकपोर र ‘ ई । इबड़ा एंड़ो घी मजही ता ‘ घी ’ गुछरकन्ति ओंटम मनी काली । इबड़ा एंड़ो बकपोनुम मुंधबकपोर ( पूर्वपद ) अरा ख़ों- ख़ाबकपोर (उत्तरपद ) बअनर । इदिन  अउर ओंटा नमुद ती बुझरआ – बे – लब – ‘ बे – लस ‘ ( एकदा समका नू समसारका ती बेल बे-ल  मंज्जा  केरा ) सिन मुन्ध बकपोर अरा ख़ो – ख़ाता  नन्ना बकपोर बखड़ेन ख़ो – ख़ाबकपोर बातारओ ।

समका घी नाख़ डड़ा  मनी (समास के चार भेद हैं ) :–

(1) नलाख़ ननूर (कर्मधारय समास) :– नलाख़ नू ओंदता उहदा अरा बकपोर ( पद ) गुनख़ी अरा ख़ो- 

(2) एँड़गु समका  ( दिगु समास )

(3) एँड़ता समका  ( दून्दू समास )

(4) बंग्गे बारूउ समका (बहुब्रीहि समास )

(1) नलाख़ ननूर (कर्मधारय समास) :–  एका समका नू ओंदता अरा बकपोर (पद ) गुनख़ी  अरा  ख़ो- ख़ाबकपोर

 एका समका नू ओंदता उहदा अरा बकपोर (पद) गुनख़ी अरा ख़ो-ख़ाबकपोर (अंतिम-पद )  : पिंज्जा ,उइजि पिंज्जका र ‘ ओ / र ‘ ई हाँले आद  , ‘ नलाख़ननूर ‘ समका मनी कली । (जिस समास मेँ प्रथम पद विशेषण और अन्तिम पद संज्ञा , सर्वनाम  हो ,वह कर्मधारय ‘ समास होता है । )

एकासे का ;-

(i)   चन्दो मुही = चन्दों मुही ईथरी

(ii)   गोलबेलास = गोलास र ’ अस बेलास

(iii)  पुण्डारी  ख़ेड = पुण्डारी पुंप  लेख़े ख़ेड सुभीई

(iv)  लगीना ख़ान  = लगीना ही ख़ान लेख़े सुभीई / इंथीरी 

(v)   बाबास = बाबस बड़ा मन्न लेखे कुल्लका रआस

(2) एँड़गुसमका  ( दिगु समास ) :– ई समका नू ओंदता बकपोर (पद) गन (गनयाँ ) ( संख्या ) मनी अरा एँड़ता मलता मुन्धबकपोर अरा ख़ो बकपोर पिंज्जका मनी ,काई । (इस समास मेँ प्रथम पद संख्या वाचक होता है और दूसरा अथवा अन्तिम पद संज्ञा होता है ।

एकासे का ;- (i) मूंद ख़ंजप्पा = ( तीन फलों का समाहर ) मूंद ख़ंजप घी झोप्पा

            (ii)  दोय एँड बच्छार = दोयएँड़ गहि बच्छर

            (iii) चौराहा = नाख़ डहरे घी झोम्पा

(3) एँड़याँ समका  ( दून्दू समास ) :–  एकन्दा समका नू एंड़ो उड़दा या बकपोर (पद) बेल (प्रधान) मनी अद एँड़याँ (दून्दू ) समका बरि ‘ई । इदिन फूट ननागे एंड़ो उहदान या बकपोरो (पदों ) घी मझी ‘ ई अरा मलता ।  एकासे का पचा (-) ( योजक ) चिह पचररीती पचा टूड़तारी ।

एकासे का ;- (i) भाया-बहिन = भाया अरा बहिन

            (ii) सीता-राम = सीता अरा राम

            (iii) माख़ा –उल्लाह = माख़ा अरा उल्लाह

            (iv) आयो- बाबस = आयो अरा बाबस

            (v) तंची – ममूस = तंची अरा ममूस

       (4) बंग्गे बारूउ समका (बहुब्रीहि समास ) :–  ई समका नू नेकीम हूँ बकपोर बेल (पद प्रधान ) मला मनी            पाहें इय्या उहदा अरा बकपोर  ( पद ) घी रहना ती हूँ मूंदता मेनता मेनतता (तने) ( अर्थ ) घी हूँ ख़ख़ना मनी  । एकासे का  – बाबस । इन्दी गहि एँड बकपोर ( पद ) या उहदा र ‘ ई – बाबा+आस । ओंदता गुनख़ी अरा एँड़ता पिंज्जका  ।

            एकासे का ;- (i) दोय कुक्क = दोय र’ ई कुक्क नेखाय आसीन  = रावाननेस घी

            (ii)  चक्रधारूउस  = चक्ररान , धारदास आसीण = विष्णु

            (iii)  मूँदता ख़ान = मूंद गोख़ान र’ ई आसीन = शिव (भगवान)

            (iv)  गो ‘ पीतांबर = हरदीयार र ‘ ई किंचरी नेख़ाय = श्री कृष्ण        

            (v) कुक्कनूचन्दो = चन्दो र’ई कुक्क नू नेख़ाय  = शंकर (भगवानसमय्या)

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