क्रिया का परिभाषा
जोन सबद से कोनो काम होवेक इया करेक बोध होवेला उके क्रिया कहल जायला ।क्रिया बेयाकरन कर मुध अंग हेके । जोन भासा में जतना क्रिया भेटायला ऊ भासा ओतने समृद्ध मानल जायला । नागपुरी में छोट ले छोट क्रिया ले सबद भेटायला ।
धातु = क्रिया कर मूल धातु हेके । धातु क्रिया पद कर ऊ अंस के कहयँना जे कोनो क्रिया कर लगभग सउब रूप में पावल जायला । मूल धातु आपन आप में पूरा होवेला । इकर अर्थ स्वतंत्र माने राखेला ।
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जयसे – जा,खा,पी,मने ।
धातु में प्रत्यय जोइड़ के क्रिया पद बनेला ।
जयसे – खायक क्रिया में ‘खा’ धातु में ‘यक’ प्रत्यय जोइड़ के खायक क्रिया बनेला ।
नागपुरी में ‘यक’ प्रत्यय हटाय के मूल धातु कर पता चलाल जाय सकेला ।
जयसे – पियक – पि+यक
जायक – जा+यक
चिकनायक – चिकना+यक
रचना कर हिसाब से क्रिया कर दुइ गो मुध भेद होवेला =
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) अकर्मक क्रिया
(क) सकर्मक क्रिया =
सकर्मक क्रिया उके कहयँना जेकर संगे कर्म होवे या कर्म होवेक संभावना होवे माने जोन क्रिया कर उपयोग (व्यापार) कर संचालन कर्ता से होवे आर जेकर फल इया प्रभाव कोनो दोसर अदमी इया वस्तु चाहे कर्म पर पड़े उके सकर्मक क्रिया कहल जायेला ।
जयसे – ‘करमा पीठा खायला’ ई वाक्य में करमा – कर्ता हेके,खायक उकर कर्ता रूप से सम्बंध राखेला ।
सवाल उठेला कि ‘का’ खायला ,जबाब हय पीठा खायला । ई लखे पीठा कर सीधा सम्बंध क्रिया ‘खायक’ से हय ।
हियाँ करमा कर ‘खायक’ फल कर्म माने पीठा उपरे माने कर्म उपरे परेला। सेले खायक क्रिया सकर्मक क्रिया कहायला ।
जहाँ वाक्य में सवाल खड़ा करले कोन कर सवाल मुध रूप से खड़ा होवेला इकर से सकर्मक क्रिया कर पता सहजे चाइल जायला।
जयसे – करमा पीठा खायला
सवाल – करमा का खायला?
जबाब – पीठा खायला
इकर से करमा कर काम करेक सीधा सम्बंध ‘पीठा’ से हय। सेले इसन वाक्य में सकर्मक क्रिया होवेला ।
(ख) अकर्मक क्रिया =
जोन क्रिया कर उपयोग बेपार आउर फल कर्ता पर परे उके अकर्मक क्रिया कहल जायला। अकर्मक क्रिया में कर्म नी होवेला । क्रिया कर बेपार आउर फल कोनो दोसार में नि पइर के कार्तया पर परेला ।
जयसे – ‘करमा सुतेला’ ।
हियाँ सुतेक क्रिया अकर्मक हय कर्ता करमा हय आउर सुतेक क्रिया जेके करमा पूरा करेला।
हियाँ सुतेक फल करमा कर्ता पर पड़ेला सेले सुतेक क्रिया अकर्मक हय ।
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के लछन
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के अलगठे, (सहजे) चिन्हल जाय सकतहे । का,केके, जइसन सवाल करल से अगर कोनो जबाब मिले तो ,बुझेक चाही की क्रिया सकर्मक हेके आउर जबाब नि मिले तो बुझेक चाही अकर्मक हेके ।
जयसे – “गंदुरा के बाघ हबलक” वाक्य
सवाल – के के हबकलक ?
जबाब – गंदुरा के ।
सवाल – का हबकलक ? } सकर्मक क्रिया
जबाब – बाघ हबकलक
इकर में ‘केके’ आउर ‘का’ दुइयो कर जबाब हय सेले इसन वाक्य मन में क्रिया सकर्मक कहालया आउर जेकर में ई सवाल मनक जबाब सहजे नी भेटायला ,असमंजस कर हालइत रहेला उके अकर्मक क्रिया कहल जायला ।
जयसे – ‘मन अकबकायला’ वाक्य
ई वाक्य में केकर काले इकर पता नि चलेला । ई मधे कर वाक्य में अकर्मक क्रिया रहेला ।
सकर्मक क्रिया अकर्मक क्रिया
समधी जीतन घरे आलँय – समधी आलँय
ऊ आपन मुँड़ के खजुवायला – ऊ खजुवायला
इकर अलावे क्रिया कर आउरो रूप होवेला
1.प्रेरणार्थक क्रिया
2.संयुक्त क्रिया
3.सहायक क्रिया
4.नाम बोधक क्रिया
5.पूर्व कालिक क्रिया
1.प्रेरणार्थक क्रिया –
जोन क्रिया से कोनो काम के करूवायक कर बोध होवेला माने काम करेक प्रेरना देवल जायला ।
जयसे – जागुवायक,उठुवायक ,चलुवायक ,पीटुवायक ,जोतुवायक ,बोलुवायक ।
धातु साधरन क्रिया प्रेरनार्थक क्रिया
लिख लिखेक लिखूवायक
हेर हेरेक हेरुवायक
थुक थुकेक थुकुवायक
पढ़ पढ़ेक पढ़ुवायक
चाट चाटेक चाटुवायक
सोट सोटेक सोटुवायक
धो धोवेक धोवुयायक
खोज खोजेक खोजुवायक
चुस चुसेक चुसुवायक
नाच नाचेक नचुवायक
नोच नोचेक नोचुवायक
खेल खेलेक खेलुवायक
गा गावेक गवुवायक
2.संयुक्त क्रिया –
जोन क्रिया दुइ या दुइ से बेसी धातु कर मेल से बनेला उके संयुक्त क्रिया कहयँना । हर भासा में इसन क्रिया वाक्य में भेटायला ।इकर से वाक्य के लम्बा करेक,बढ़ायक,जोड़ेक में मदइत मिलेला ।
जयसे – धनुवा कांदलक ।
रुचुवा काँदे लगलक ।
माँय नहियर पोहँइच गेलक ।
इ वाक्य मन में कांदलक, काँदे लगलक, पोहँइच गेलक संयुक्त क्रिया हेकँय ।
3.सहायक क्रिया –
जोन क्रिया मुध क्रिया कर रूप आउर उकर अर्थ के स्पस्ट करेक बतायक में मदइत करेला उके सहायक क्रिया कहल जायला । कहों-कहों एक ले बगरा सहायक क्रिया भेटायला ।
जयसे – मंगरु खात रहे ।
हियाँ दुइ गो क्रिया ‘खात’ आउर ‘रहे’ हँय ।
मूध क्रिया खायक हेके ‘रहे’ सहायक क्रिया हेके ।
4. नाम-बोधक-क्रिया –
संज्ञा चाहे बिसेसन कर संगे क्रिया के जोड़ेक से जे संयुक्त क्रिया बनेला उके नाम-बोधक-क्रिया कहँनया । नाम बोधक क्रिया संयुक्त क्रिया ना लगे,असल में संयुक्त क्रिया दुइ क्रिया से बनेला जबकि नाम बोधक क्रिया ‘संज्ञा’ चाहे ‘बिसेसन’ कर मेल से बनेला, एहे मुध अंतर दुइयो में हय ।
जयसे – संज्ञा क्रिया – भसम करेक ।
बिसेसन क्रिया – हतास होवेक ।
5.पूर्व कालिक क्रिया –
जब कर्ता कोनो एक क्रिया के निमराय के तुरते ओहे बेरा दोसर क्रिया में लाइग जायला तब पहिल क्रिया के पूर्व कालिक क्रिया कहल जयेला ।
जयसे – “अंगनी नहाय के खालक” – वाक्य
हियाँ नहाय आउर खायक दूइ गो क्रिया हँय । मुद्दा नहाय के खायक बात हय ,सेले नहायक क्रिया पूर्व कालिक क्रिया हेके ।