क्रिया बिसेसन ( नागपुरी व्याकरण ),NAGPURI LANGUAGE,nagpuri bhasha or vyakaran,karak vyakaran,Nagpuri vyakaran ka PDF,Nagpuri Bhasha or Vyakaran Notes,Nagpuri language and literature pdf, Nagpuri language book for jpsc, Nagpuri language book for jssc cgl, Nagpuri language book for jtet, Nagpuri language book for jac ,nagpuri grammer,Nagpuri language book Pdf, नागपुरी भाषा की किताब, नागपुरी भाषा कैसे सिखे, नागपुरी लोक साहित्य book, नागपुरी व्याकरण, नागपुरी भाषा का अर्थ , Nagpuri language question and answer, Nagpuri language script, Nagpuri language words, Nagpuri language poem, Nagpuri language translation,
परिभाषा – जोन अव्यव ( विकारी सबद ) से क्रिया कर बिशेषता कर पता चलेला उके क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – धीरे-धीरे ,रसे-रसे ,कले-कले ,गते-गते , जहाँ-तहाँ, कहाँ-जहाँ ।
क्रिया बिसेसन कर भेद-
क्रिया बिसेसन कर तीन किसिम से विभाजन करल जा सकेला –
1.परयोग (प्रयोग) कर मोताबिक
2.रुप कर मोताबिक
3.अरथ कर मोताबिक
1. परयोग (प्रयोग) कर मोताबिक – जोन क्रिया बिसेसन कर कोनों वाक्य में स्वत्रंत परयोग (प्रयोग) होवेला उके परयोग क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
इकर तीन गो भेद होवेला –
(क) साधारन क्रिया बिसेसन
(ख) संयोजक क्रिया बिसेसन
(ग) अनुबद्धक्रिया क्रिया बिसेसन
(क) साधारन क्रिया बिसेसन – जोन क्रिया बिसेसन कर परयोग (प्रयोग) कोनो वाक्य में स्वत्रंत रुप से होवेला उके साधारन क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – अरे ! मँइया कहाँ गेलक ?
हायरे ! आब हम कहाँ जाउ ?
(ख) संयोजक क्रिया बिसेसन – जोन क्रिया बिसेसन कर संबन्ध कोनो उपवाक्य से रहेला उके संयोजक क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – एखन जोन जगन हटिया कारख़ाना हय, उहाँ कहियों गाँव रहे ।
(ग) अनुबद्धक्रिया क्रिया बिसेसन – अनुबद्धक्रिया माने होवेला निस्चय । जोन क्रिया बिसेसन कर परयोग (प्रयोग) अवधारन, (निस्चय) ले होवेला उके अनुबद्धक्रिया क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – हाम उके देइख तक नखी ।
2. रुप कर मोताबिक तीन गो भेद होवेला –
(क) मूल क्रिया बिसेसन
(ख) यैगिक क्रिया बिसेसन
(ग) स्थानीय क्रिया बिसेसन
(क) मूल क्रिया बिसेसन – इकर क्रिया बिसेसन जे कोनो दोसर सबद कर मेल से नी बनेला मूल क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – ठीक, फिन, अचके ।
(ख) यैगिक क्रिया बिसेसन – इसन क्रिया बिसेसन जे कोनो दोसर सबद में प्रत्तय इया पद जोड़ल से बनेला उके यैगिक क्रिया बिसेसन कहल जायला ।हियाँ धेयान देवेक बात ई हय कि यैगिक क्रिया बिसेसन संज्ञा,सर्वनाम,बिसेसन,धातू आउर अव्यव कर मेल से बनेला ।
जयसे – संज्ञा से बनल – घरी – घरी ,माझे- माझे ।
बिसेसन से बनल – ठीक – ठीक, साफ-साफ, एक-एक ।
संज्ञा बिसेसन से बनल – एक बेइर,एके संगे ।
अव्यव आउर दोसर सबद कर मेल से बनल – अनजाने,रोज दिन ।
(ग) स्थानीय क्रिया बिसेसन – इसन क्रिया बिसेसन जे बेगर कोनो रूपान्तर इय बदलाव के ठाँव बिसेस में आवेला उके स्थानीय क्रिया बिसेसन कहल जायला ।
जयसे – ऊ आपन मुँह फोरी ।
3. अरथ कर मोताबिक – अरथ कर मोताबिक तीन दो भेद होवेला –
(क)परिमान वाचक क्रिया बिसेसन
(ख) रीति वाचक क्रिया बिसेसन
(क) परिमान वाचक क्रिया बिसेसन – परिमान इया संख्या कर बोध जोन क्रिया बिसेसन में होवेला उके परिमान वाचक क्रिया बिसेसन कहल जायला । इकर पाँच उपभेद हँय –
1.अधिकता बोधक – बागरा, सउब, पूरे
2.न्यूनता बोधक – तनी,कटिक,थोरे
3. पार्यप्तिवाचक – ठीक,बस,बराबइर
4.तुलाना वाचक – कतना,जतना,ओतना,कतई,जतई
5. श्रेणी वाचक – थोरे – थोरे,पारी – पारी से
(ख) रीति वाचक क्रिया बिसेसन – रीतिवाचक क्रिया बिसेसन माने क्रिया कर रीति,प्रकार,बिधि आउर निश्चय कर बोध होवे ।
जयसे – जइसन, तइसन, वइसन
फटाफट, आपने ,अचकाय
जस-तस, सते, साँइत
अयसे, जयसे, तयसे