खोरठा साहित्य का संझिप्त इतिहास,खोरठा साहित्य का काल विभाजन ,खोरठा भाषा -साहित्य के संबंध में उपयोगी जानकारियाँ :–
(क) आदिकाल:-1750 ई. से 1900 ई. तक
1.राजा दलेल सिंह–शिवसागर( प्रबंध काव्य) ,(700. ई. पू, 12000 दोहे), गोविंद लिलाडमृत
2.पदमदास( राजकबि,रामगढ़ )–काव्य मंजरी
3. रुद्र सिंह (दलेल सिंह के पुत्र ) — ज्ञान सुधाकर
4.बेसहाल मार्क — बाइबिल का अनुवाद
इस काल की मुख्य प्रवृति –प्रबंद्धधात्मकता और भक्तिभावना
(ख) मध्यकाल :–1900 से 1950
प्रमुख साहित्यकार — भूनेश्वर दत्त् शर्मा ” व्याकुल “
प्रमुख गीतकार — रूटवा गोड़ाइत ,हाड़ीराम ,चामुकमार ,बिनंदिया , भवप्रीता ,श्याम सुंदर महथा ,जीतूलाल शर्मा आदि ।
मुख्य प्रवृति — गीतात्मकता (गेयता )
(ग) नवयुग :– 1950 से अबतक :—
प्रमुख रचना कार और रचनाएं —
(1) श्रीनिवास पानुरी — मेघदूत ( अनुदित ) , रामकथामृत ,- चाबी- काठी ( नाटक) , रक्ते रांगल ,पाँखा,दिव्य जोती , बाल किरण, मालाक फूल, उद्वासल कर्ण , कुसमी, अजनास, तितकी ।
(2) विश्वनाथ दसौंधी राज — तेतरी ,भगजोगनी, अजगर
(3) नरेश नीलकमल — फुटकर रचनाएं (कविता)
(4) ए .के. ओझा —-खोरठाक काठे पइदेक खँडी ,समाजेक सरजुइत निसइन ,सइर सगरठ ,खोरठा सहित सदानिक बेयाकरन कबिता पुरान आदि।
(5) विश्वनाथ सागर –रांगा लाठी ,सुलकसाय ,खयाम ,तोर मधुगीत
(घ) खोरठा भाषा संस्कृति पर हुए ऐतिहासिक सम्मेलन/ आयोजन
(1) . चेटर सम्मेलन 13 अप्रैल 1985 ,आयोजक: खोरठा ढाकी छेतर कमिटी ,कोठार।
(2). भतुआ सम्मेलन सन 1989 एवं सन् 2000,आयोजक : खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद , बोकारो।
(3). सिंगपुर सम्मेलन ,1998 ,आयोजक : खोरठा संस्कृति परिषद बोकारो ।
(4). दामुदर पारसनाथ डहर जातरा ,13-14 जनवरी 1989
(5).दामुदर सेवाती जातरा .1994
(6).खोरठा मानकीकरण कार्यशाला ,आयोजक –खोरठा साहिय संस्कृति अकादमी,रामगढ़,दिनांक 22-24 अक्टूबर 2010