नागपुरी व्याकरण (समास)

नागपुरी व्याकरण (समास)

समास की परिभाषा

दूइ या दूइ से बेसी सबद कर परस्पर सम्बंध बतायकवाला सबद चाहे प्रत्तय कर जब लोप होय जायला आउर ऊ दूइ इया दूइ से बेसी सबद से जे नावां सबद बनेला उसन सबद के समासिक सबद कहल जायला आउर ओहे दूइ इया दूइ से बेसी सबद कर संजोग से बनल सबद के समास कहल जायला ।

                   नागपुरी में समासिक सबद कर बगरा चलन नखे । संगेहे इसन सबदो मन बगरा नी भेटायँना तेऊ नागपुरी में आधुनिकता चाहे आउर दोसर – दोसर प्रभाव से इसन सबद मनक होवेला । नागपुरी में कोनो दोसर बरन कर समास नि होवे हिन्दी लखे नागपुरीयो कर समास होवेला ।

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समास कर भेद – 7

1 . तत्पुरूस समास – तत्पुरूस समास में आखरी पद प्रधान होवेला असल में तत्पुरूस समास में कारक कर ‘क’ चिहन कर लोप होय जायेला ।

जयसे – बनमानुस,कड़बेचवा,लतखोर ।

2 . कर्मधारय समास – कर्मधारय समास में पहिल सबद  बिसेसन होवे उके कर्मधारय समास कहल जायला ।

जयसे – गुड़ा-चाउर , ललमटिया, पिसल हरदी ,घोड़मुहाँ ।

3 .  द्विगू समास – द्विगू समास में जहाँ पहिल सबद संख्यावाचक होवे सेके उके द्विगू समास कहल जायला ।

जयसे – नवरतन ,दुअन्नी, दुपहरिया, दुधरिया ,दुबतिया , चाइरगोड़वा ।

4 . द्वन्द्व  समास – द्वन्द्व समास कर माने हय जोड़ा । जेकर दुइयो पद संज्ञा आउर बीच कर संजोजक लोप होवे उके द्वन्द्व समास कहल जायला ।

जयसे – राजा-परजा ,दुध-भात ,बाप-बेटी ,माँय-बाप ,बेटी-दामाद, भाई-बहन, लाव-लस्कर ,छोड़ा-छोड़ी ।

5 . अव्ययीभावी समास – अव्यय कर जोग से जोन सबद बनेला उके अव्ययीभावी समास कहल जायला ।

जयसे – हर घरी ,कोनबटे ,कोनखन ,ऊ लाइल ।

6 . नञ समास – जोन समासिक सबद कर पहिल अंस से नकारात्मक भाव परगट होवेला उके नञ समास कहल जायला ।

जयसे – अनहोनी ,अनजान ,अनसून ,बेलूरा ,अनसम्हार ।

7 . बहुब्रीहि समास – समास में आवल पद छोइड़ के जब कोनों दोसर पदार्थ कर प्रधानता होवे तो उके बहुब्रीहि समास कहल जायला । कहेक माने ई समास में समास गत पद में से कोनो प्रधान नि होय के सउब पद कोनो दोसार पद कर बिसेसन होवेला ।

जयसे – नीलकंठ ,कमलनयन ,कनपातर ।

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