
सियारिड मक्खी,
लार्वा,
फोरिड मक्खी,
सूत्रकृमि,
माईटस,
मशरूम की खेती में होने वाली बीमारियोँ की सामान्य जानकारी
अन्य फसलों की भांति मशरूम को कई प्रकार के कीड़े मकौड़े सूत्रकृमि मशरूम को क्षति पहुँचाते है, सियारिड मक्खीै, फोरिड मक्खी, सर्प्रिगं टेल्स, माईट और सूत्रकृमि खुम्ब की बीजाई से लेकर तुड़ान तक किसी भी अवस्था में क्षति पहुँचाते है। इसके अतिरिक्त मशरूम एक अंदरूनी फसल होने के कारण उत्पादन कक्षा में सही मात्रा में नमी और तापमान रखने की आवश्यकता रहती है जो की मशरूम के किड़े -मकड़ों के प्रजनन के लिए उपयुक्त है कमाने की फसल होने के कारण अवशेष समस्या,कीटनाशकों का खुलेआम प्रयोग वर्जित करती है। अतः मशरूम उत्पादन में कीड़े-मकौड़े से बचने के लिए पहला कदम इनके प्रवेश को रोकना है।खुम्ब मे निम्नलिखित कीड़े-मकौड़े आते हैं ।
सियारिड खुम्ब => ये मशरूम की सर्वाधिक हानिकारक मक्खी मानी जाती है, यह मक्खी देखने जैसी होती है, ये प्राय: पत्ती की खाद, जंगली कवको तथा सड़ती हुई पादप सामग्रियों में रहती है,और मशरूम की खुशबू से आकर्षित होकर उत्पादन कक्षा तक पहुंच जाती है, इसमें लार्वा सफेद, पद रहित 1.8 मिलीमीटर लंबे कीड़े होते हैं काला चमकता हुआ मुंडक होता है।
यदि इनका आक्रमण प्रारंभिक अवस्था में हो तो ये स्पोंन विस्तार में बाधा डालते हैं, जिसके फलस्वरूप उत्पादन बहुत कम हो जाता है लार्वा मशरूम की कालिकाएं तथा दोनों को छतिग्रस्त करते और उन्हें भूरे रंग का एवं चिमड़ा बना देते हैं। लार्वा डंडों की ऊतकों को खाकर उनमें सुरंगों का निर्माण कर देते हैं, और कभी पूरे बटन खा लेते हैं। पौढ़वस्था को प्राप्त कर यह मक्खियां मशरूम के कई प्रकार के रोगों व बरूथियों के सवांहक का कार्य करती ।जब मशरूम कपास को चरम उस्मायित करने के बाद ठंडा किया जाता है तब पौढ़ सियारिड मक्खियां खाद की मीठी महक से आकर्षित हो जाती हैं और खाद एक मधुमक्खी लगभग 100-140 अंडे देती , इन्ही से कीड़े पैदा होते हैं जो स्पान विस्तार की अवधि में फैलने वाले कवक जाल को नष्ट कर देते हैं इन कीड़ो से उत्पादन मैं उपलब्ध तापमान अनुसार 2 से 3 सप्ताह के भीतर पौढ मक्खियों कि नई पीढ़ी पैदा हो जाती है।
फोरिड मक्खी :- फोरिड एक छोटी 2.3 मिलीमीटर कुबड़युक्त पीठ वाली मक्खी है रंग गोरा काला होता है इनके कीड़ों का रंग सफेद होता है और या पादरहीत होते हैं।जिनके मुंडक का शीर नुकीला होता है, यह मक्खियां तेज एवं झटके वाली गति से इधर-उधर भागती है । मादा पौढ़ मक्खियां बढ़ते हुए खुम्बों के गिलों पर या आवरण की सतह पर अंडे देती ।कीड़े खुम्बों के डण्डो पर सुरंग बनाते हैं ।पौढ मक्खियां बढ़ते हुए कवक जाल की महक से स्पान कक्ष की ओऱ आकर्षित होती है खाद में एक मादा 50 अंडे देती है।
सेसिड मक्खी :— सेसिड की पौढ़ मक्खियां इतनी सूक्ष्म होती है शायद ही दिखती हैै इन्हें इनके छोटे-छोटे कीड़ों की सहायता से पहचाना जाता है, जो पद रहित एवं सफेद अथवा नारंगी रंग के होते हैं मुंडक स्पष्ट नहीं होता है। यद्यपि उनके मुंडक के स्थान पर दो’ ढृक-बिंदु’ मौजूद होते हैं, जो इसे ‘x’ का आकार देते।
सेसिड की प्रजनन क्षमता बहुत तीव्र होती है जिसके फल स्वरूप यह उत्पादन को भारी हानि पहुंचाते हैं, लारवा कवक डंडो एवं गिलो संधि स्थल का भक्षण करते हैं।खुम्बों में लार्वों की उपस्थिती तथा बाद में जीवाणु संक्रमण के कारण मशरूम भूरे बदरंग हो जाते हैं और उनमें छोटे-छोटे श्रावी दाग पैदा होतें हैं।
प्रबंधन और रोकथाम:–
मशरूम की मक्खियों के नियंत्रण एवं कुशल प्रबंधन के लिए उपायों के लिए अनुशंसा की जाती है :-
अग्रिम नियंत्रण विधियां:–
साफ सफाई :– साफ-सफाई मशरूम का सबसे महत्वपूर्ण अंग है मशरूम उत्पादन में साफ-सफाई खाद बनाने से पहले ही शुरू हो जाती है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए उत्पादन कमरों में पास स्पेंट कंपोस्ट की ढेरी पड़ी ना हो, कराने के प्रांगण में खाद बनाने के 24 घंटे पूर्व 2% फॉर्मिंलिन का छिड़काव करना चाहिए। खाद प्रांगण की साफ-सफाई , कीड़ा मकोड़ों का नियंत्रण करता है। प्रस्तुति करण कीड़े-मकोड़ों की सभी अवस्थाओं का नियंत्रण करता है।
दरवाजे और खिड़कियों मे जाले लगाना :– मशरूम की मक्खिंयां बढ़ते हुए कवक जाल के महक ओर आकर्शि होती है , मशरूम उत्पान के समय या मक्खियां उत्पादन कक्षा में प्रवेश करती है बीजीत कंपोस्ट और मशरूम कि क्यारियों में प्रजनन करती है ,छोटे आकार के कारण साधारण जालों में आसानी से आ जाती है दरवाजों और रोशन दानों को 34 से 40 /से.मी आरके नायलॉन या तार के जाले जाने से इन मक्खियों के प्रवेश को रोका जा सकता है।
जहर आर्कषण :– यदि उत्पादन के समय मक्खियां हो तो उनको आने वीडियो द्वारा किया जा नियंत्रित किया जा सकता है । बैगोन को पानी के साथ 1:10 के अनुपात में मिलाकर और उसे थोड़ी सी चीनी डालकर उत्पादन कक्षों में रखने वाली मक्खियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
चिपचिपी पटिट्यां :- पीले रंग का जीरो वाट का बल्ब दीवार में लगाने जिनकी जीत में चिपचिपा पदार्थ लगाकर नियंत्रण किया जा सकता है । इस विधि के द्वारा मक्खियों का उत्पादन कक्षों में प्रकट होने का समय बारे में पता लगाया जा सकता है
उपचार के तरीके :-
=>स्पानिंग के 7 दिन बाद ,दीवारों में 3 मि.ली मेलाथियोन /10लीटर पानी का घोल छिड़काव करे।
=>दूसरे सप्ताह में असल में इसका डाइक्लोरोवोस न्यूवान की 0.1 घोल का छिड़काव पेटियों , दीवारों , और फर्श पर करें।
=> तीसरे सप्ताह में उत्पादन के समय मक्खियों के प्रकोप को रोकने के लिए दीवार और फर्श पर डेसिज 4 मी.ली / 10 लीटर पानी का छिड़काव करें। छिड़काव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि एक ही कीटनाशक का बार-बार है छिड़काव ना हो।
=> पूरा उत्पादन लेने के बाद खाद को पद से दूर करने में फेंक कर 10 सेंटीमीटर मोटी मिट्टी के परत से दबा दे(A) स्प्रिंग टेल्स :– स्प्रिंग टेल्स लगभग 0.7-2.25 मिली मीटर लंबा एक सूक्ष्म कीड़ा है जिनके भारीर के दोनों हल्की बैगनी रंग की पटिया होती हैं। इनके भारिर होता है का रंग मटमैला होता है, इन कीड़ों के पंख नहीं होते हैं वह छेड़ने पर उछलते हैं।
यह मशरूम के कवक जाल को खातें हैं, मशरूम कलिकाओं की बढ़ोतरी रुक जाती है,तथा मशरूम के ऊपर छोटे छोटे गड्ढे बना देते हैं। यह कीड़े बटन मशरूम से ज्यादा ढींगरी को पहुंचाते हैं और तूने क्या धार पर होकर कवक जाल को खाना शुरू कर देते हैं , फलस्वरूप ढींगरी मशरूम कि एक बढ़त रुक जाती है और मुरझाई हुई लगती है।
यह एक छोटा सा कीड़ा है जिसका भारीर दो पंख खोलो से ढका रहता है, जिसके कारण भारीर लगभग एक गोल आकार ग्रहण करता है। यह प्राय: भूरे या काले रंग के होते हैं ।
नुकसान:– ढींगरी की तुड़ान उचित अवस्था में करें।
> दरवाजा और खिड़कियों में जाले लगाएं व दरवाजे के नीचे खाली जगह को बंद कर दें।
> उत्पादन कक्ष के आसपास ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें।
मशरूम के बरुथी( माइट) बरूथी एक सूक्ष्म जीव है तथा इस की प्रजातियाँ मशरूम को क्षति पहुँचाते हैं। मशरूम की बरूथियों का प्रमुख स्त्रोत खाद व केंसिंग मिश्रण तैयार करने में प्रयुक्त कच्चा माल होता है ।बरूथी कवक जाल को खाते हैं और मशरूम के तनों और टोपियों पर धब्बे या छिद्र बना देतें हैं,कु बरूथी ,केसिंग मिश्रण के नीचे फैल रहे कवक जाले को खाते है।कई बार यह मशरूम के जड़ को खाना रू कर देतें हैं जिससे का तने निचला हिस्सा हल्का लालया भूरा हो जाता है।
रोकथाम :-
खाद एवं केसिंग मिश्रण का सही प्रस्तुतीकरण करें।
उत्पादन कक्ष की छत, फर्श पर दीवारों को डाईकोफोल 0.1 प्रतिशत घोल से उपचारित करें।
खाली उत्पादन कक्ष में 250-300 ग्राम सल्फर जलाया हुआ दरवाजे और खिड़कियों दो-तीन घंटे के लिए बंद रखें।
फसल खत्म होने के बाद खाद को उत्पादन कब से दूर गड्ढों मैं फेंक दें वह ऊपर 10 सेंटीमीटर मोटी मिट्टी की परत चढ़ा दे।
मशरूम के सूत्रकृमि :- सूत्रकृमियों का प्रकोप अगर में किसी भी समय हो सकता है।सूत्रकृमि सूक्ष्मजीव है।मशरूम का कवक जाल इन सूत्र कृमियों का मुख्य आहार है। सूत्रकृमि मशरूम का प्रमुख परजीवी है जिसका मशरूम उत्पादन के समय प्रवेश पूरी फसल को नष्ट कर देता है।
मशरूम में प्रायः तीन प्रकार के सूत्रकृमि आते हैं :-
=> कवक जाल को खाने वाले सूत्र क्रीमी( परजीवी)
=> खाद और केसिंग मिश्रण को खाने वाले सूत्र कृमि(मृत भक्षी)
=> परभक्षी सूत्र क्रीमी
परजीवी सूत्र क्रीमी :– इन सुत्रकृमियों के मुंह में सुई जैसी स्टाइलेट होती है। जिस की सहायता से या कवक छेद करके कवक का रस चूसते हैं। फल स्वरूप कवक जाल धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। वीडियो की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है(गुण/सप्ताह), इस कारण कुछ हीं सूत्रकृमियों का प्रवेश कुछ दिनों में पूरी फसल को नष्ट कर देता है।
मृत भक्षी सूत्रकृमि :- यह सूत्रकृमि परजीवी सूत्रकृमि से ही क्षतिग्रस्त बैगों में भारी संख्या में पाए जाते हैं। इन सूत्रकृमियों का स्टाईलेट नहीं होता, जिस कारण यह खुम्ब को प्रत्यक्ष रूप से क्षति नहीं पहुंचा पाते, परंतु यह सूत्र कृमि पैरों में गंदगी फैलाते हैं व कई अपने शरीर पर हानिकारक जीवाणुओं का वाहन करते हैं।
परभक्षी सूत्र कृमी :– यह सूत्र कृमि बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं, जो परजीवी सूत्रकृमियों और कीड़े मकोड़े के अंडो व बरूथियों को खातें हैं।
सूत्र कृमियों का स्त्रोत :– इन का प्रमुख स्रोत अपास्तुतिकृत कंपोस्ट व केसिंग मिश्रण होता है। इसके अतिरिक्त यह खुम्ब उत्पादन में प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरणों से भी फैलते हैं, कई बार खुम्ब की मक्खियों भी सूत्र क्रीमी वाहक का काम करती है।
सूत्रकृमि क्षति के लक्षण :—
कवक जाल का हल्का तथा धब्बों मे फैलना
खाद की सतह का धसना
बढ़ते कवक जाल के सफेद रंग का धीरे-धीरे भूरा होना
खुम्ब का कम और देर से उत्पादन होना
खुम्ब कलिकाओं का भूरा होना
उत्पादन में गिरावट
पूरी फसल का असफल होना
रोकथाम :–
साफ सफाई का ध्यान रखें
कंपास बनाने का फर्श बिजाई करने एवं कंपोस्ट बनाने में उपयोग में लाए जाने वाले सभी उपकरणों को 2% फॉर्मलीन के गोल से धो ले ।
बिजाई से 24 घंटे पूर्व उत्पादन कक्ष हुआ उसमें बने चौखटो पर 2% फॉर्मलीन का छिड़काव करें ।
उत्पादन कक्ष प्रवेश द्वार पर 1.1-5 इंच गहरा पांव पोस बनाकर उसमें 2% फॉर्मलीन गोल भरे तथा जूते डुबोकर ही कक्ष में प्रवेश करें ।
कंपोस्ट और केसिंग मिट्टी का सही ढंग से प्रस्तुतीकरण करें ।
छिड़काव में फिक्स होने वाली पानी स्वच्छ हो ।
श्वेत बटन खुम्ब ढींगरी फसल चक्र अपनाएं।
खुम्ब की मक्खियों का नियंत्रण करें ।
फसल होने के बाद पेटियों को 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 8 से 12 घंटे तक करें उस्मायित करें।
पूरा उत्पादन होने के बाद खाद को उत्पादन कक्ष से दूर गड्ढे में डाल कर मिट्टी से ढक दें ।
Q 1. क्या मषरूम में बीमारियां लगती हैं?
Ans = जी हां, मषरूम में विभिन्न प्रकार की बीमारियां लगती है। मषरूम की कुछ मुख्य बीमारियां गीला बुलबुला, षुष्क बुलबुला, कोब बेब व मोल्ड (हरा, पीला, भूरा) है।