माल पहाड़िया जनजाति

माल पहाड़िया जनजाति |Mal Paharia Tribe |maal pahadiya janjati

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माल पहाड़िया जनजाति ,Mal Paharia Tribe, maal pahadiya janjati

माल पहाड़िया जनजाति का परिचय ( Introduction to the Mal Paharia tribe )

माल पहाड़िया जनजाति दो प्रमुख शाखाओ मे एक है।प्रजातिय दृष्टि से माल पहाड़िया को प्रोटो-अस्त्रोलायड समूह में रखा जाता है। इसकी भाषा को मालतो कहा जाता है।जो द्रविड परिवार की भाषा मानी जाती है।

माल पहाड़िया जनजाति की जनगणना (Census of Mal Paharia Tribe)

माल पहाड़िया जनजाति की जनसंख्या 2011 के अनुसार 135797 है जो राज्य की जनजातीय जनसंख्या 1.57% है।माल पहाड़िया जनजाति मुख्प रूप से संथाल परगना के दुमका ,जामताड़ा ,गोड्डा ,देवघर ,पाकुड़ आदि जिलों मे पाये जाते हैं।

माल पहाड़िया जनजाति की महत्वपूर्ण विशेषता (Important feature of Mal Paharia tribe)

माल पहाड़िया जनजाति मुख्य रूप से खेती ,लघु वन पदार्थो का संग्रह ,मजदूरी आदि कार्य करते हैं।ये झूम या कुरवा खेती भी करते हैं।

माल पहाड़िया जनजाति अपनी भूमि को चार श्रेणी में बांटते है–सेम,टिकुर,डेम भूमि कहलाती है।सेम भूमि काफी ऊपजाऊ होती है।टिकूर कम ऊपजाऊ जमीन होती है।इन दोनों के बीच की भूमि को डेम भूमि कहलाती है।बाड़ी भूमि घर से सटे किचेन गार्डेन है,जहा सब्जी उगायी जाती है।

माल पहाड़िया जनजाति मे वधू मूल्य के रूप में सुअर देने की प्रथा है,माल गोत्र न पाया जाता है।विवाह योग्य होने पर लड़की के पिता सिथू या सिथूदार (अगुआ) के माध्यम से कन्या का खोज करता है।वधू मूल्य के रूप में पोन या बंदी दिया जाता है।इनका प्रमुख देवता धरती गोरासी गोसाई है,जिसे ” वसुमति गोसाई या वीरू गोसाई “भी कहा जाता है।

3 thoughts on “माल पहाड़िया जनजाति |Mal Paharia Tribe |maal pahadiya janjati”

  1. Manik Chandra Nayak

    झारखण्ड के पूर्वी सिंहभूम जिले में माल पहाड़िया जनजाति है । वे लोग बहुत गरीब है । सरकारी सहायता से वंचित है । खतियान में एक ही जाति को अलग-अलग जाति उल्लेख है । जैसे – माल , माल खतरी , माल पहाड़ी , मल्ल क्षत्रिय । कोई शुभ चिन्तक वे उल्लेख जाति को जनजाति प्रमाण पत्र मिलने का सहायता करें ।युग-युग आपका नाम स्मरणीय रहेगा ।

  2. Manik Chandra Nayak

    माल पहाड़ियां जाति का परिचय –
    पहाड़िया जाति के दो भाग हैं – 1. सौरिया , 2. माल ।
    सौरिया जाति से “सौरिया पहाड़िया” और माल जाति से “माल पहाड़िया” हुआ ।
    रिजेल ने माल पहाड़िया जाति को द्रविड़ वंश माना है । रसेल और हीरालाल के अनुसार पहाड़ी में रहनेवाले सकरा जाति के वंशज हैं । बुचानन हेमिल्टन ने माल पहाड़िया का संबंध सौरिया पहाड़िया से बतलाया है ।
    माल पहाड़िया का निवास स्थान भागलपुर , सहरसा , पूर्णिया , पूर्वी सिंहभूम , पश्चिमी सिंहभूम , दुमका , रानीश्वर , मशलिया , जामा , जरमूंडी, रामगढ़ , गोपीकांदर , काढीकुंड तथा शिकारीपाड़ा में पाया जाता है । भाषा – मालतो । बोली – बंगाली , हिन्दी । धर्म – हिन्दू । शारीरिक रूप – प्राटो आस्ट्रोलायड समूह ( काला वर्ण ) । आर्थिक स्थिति – बहुत कमजोर है । प्रमुख देवता – बड़ाम ठाकुर ( पत्थर को देवता मानना ) ।
    विवाह पद्धति – कोई तरह के है ।
    1. कन्या मूल्य देकर विवाह ।
    2. प्रेम विवाह ।
    3. गोल्फ विवाह ( अदला बदली विवाह ) ।
    4. सेवा विवाह ( ससुर के घर में काम करना ) ।
    5. दत्तक विवाह ( घर जमाई ) ।
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    1964 के खतियान में एकही जाति को भिन्न – भिन्न नाम से उल्लेख है – पूर्वी सिंहभूम में । जैसे – माल , माल पहाड़ी , माल खतरी , मल्ला , मल्लाह , मल्ल क्षत्रिय ।
    वे जाति सरकारी सुविधा से वंचित है ।
    उल्लेखित जाति बहड़ागोड़ा प्रखण्ड के निम्नोक्त मौजा में पाई जाती है । जैसे – गोपालपुर , गोबराशोल , सुरमुहि , रामचन्द्रपुर , सारसाबेड़ा , नान्दाड़िया ,खेड़ुया , टुबली , पड़ाशिया ,धुलियापाड़ा , खेंकशियाली , बेलबरिया , गुरुरसाई ,दीघिबरदा , मालुया , सोनाकड़ा और राजलाबांध ।
    चाकुलिया प्रखण्ड में पाई जाती है जैसे – बरानाटा , तिलाबनी , ढ्येगाम , सिमाशोल , सिमदी , जिरापाड़ा , कुसमाटि , भण्डारो ,बागघोरी , रूपुषकुण्डी , काशिया, पानीबांका , भातकुण्डा ,जोड़िसा , जरडिहा ,धोबाशोल , गदराशोल , चतराडोब , राजाबासा ,कालियाम , टुकदा , लखीपुरा और बड़कला ।
    धालभूमगढ़ प्रखण्ड में पाई जाती है जैसे – ककपाड़ा ।
    अंचल अधिकारी कार्यालय , गोड्डा सदर ( झारखण्ड )
    से पत्रांक – 2011 , दिनांक – 8/10/2018 को माल जाति का रहन – सहन माल पहाड़िया जाति जैसा पाया एवं जाति माल के स्थान पर माल पहाड़िया जाति का अनुसूचित जन जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया ।
    पू्र्वी सिंहभूम गरीब माल भाईयों को वैसा सुविधा दयालु राजनेता एवं अधिकारी से समर्थन मिलना चाहिए ।
    समर्थनकारी नररुपधारी नारायण होंगे ।

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