राष्ट्रीय क्वांटम अभियान

राष्ट्रीय क्वांटम अभियान [ National Mission on Quantum Technologies & Applications ]

राष्ट्रीय क्वांटम अभियान ,National Mission on Quantum Technologies & Applications

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राष्ट्रीय क्वांटम अभियान

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत अगले छह साल तक क्वांटम तकनीक पर आधारित शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें छह हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके साथ ही भारत राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू करने वाला विश्व का सातवां देश बन गया है। अमेरिका, चीन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस और फिनलैंड क्वांटम मिशन पर काम कर रहे हैं। क्वांटम तकनीक को भविष्य में होने वाले आर्थिक एवं सामाजिक बदलाव का वाहक माना जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटर से हमें अविश्वसनीय डाटा प्रसंस्करण शक्ति हासिल होगी।

आटोमेशन आधारित सेवाओं का विकास करना हो या वर्चुअल करेंसी से लेकर साइबर सुरक्षा की अभेद्य दीवार खड़ी करनी हो, जीवन के हर क्षेत्र में क्वांटम कंप्यूटर बेहद उपयोगी साबित होंगे। दवाओं की खोज करने, अणु शृंखलाएं बनाने, जलवायु और आपदा प्रबंधन के लिए रियल टाइम डाटा मुहैया कराने में क्वांटम कंप्यूटर का कोई सानी नहीं होगा। यह नीतियां बनाने से लेकर आविष्कार में डाटा प्रसंस्करण की अहम भूमिका निभाएगा।

वर्तमान और भविष्य के क्वांटम कंप्यूटर में सबसे बड़ा अंतर इनके पीछे काम करने वाली यांत्रिकी का है। अभी हम जिस कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं, वे परंपरागत यांत्रिकी पर आधारित हैं। वहीं क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम यांत्रिकी पर आधारित होते हैं। परंपरागत यांत्रिकी कहती है कि ब्रह्मांड में होने वाली हर घटना का होना और बदलना निश्चित है। यह अंतरिक्ष यान, ग्रहों, सितारों और आकाशगंगाओं जैसी बड़ी वस्तुओं की गति का वर्णन करती है, लेकिन यांत्रिकी की यह शाखा अत्यंत छोटे कणों की गति का वर्णन नहीं करती। क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी का वह मौलिक सिद्धांत है, जो उप-परमाणु कणों (सब एटामिक पार्टिकल) जैसे इलेक्ट्रान, फोटान आदि की अनिश्चितता और गतिशीलता के आधार पर घटनाओं की व्याख्या करता है। यह सिद्धांत कहता है कि कोई भी बदलाव सब एटामिक पार्टिकल्स की अनिश्चितता और संभाव्यता पर निर्भर है। इसलिए किसी वस्तु के बदलाव की एक से अधिक संभावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है। क्वांटम तकनीक पर चलने वाले कंप्यूटर गणना करने के लिए ट्रांजिस्टर का नहीं, बल्कि उप-परमाण्विक कणों का उपयोग करते हैं। मौजूदा कंप्यूटर से भले ही विकास की अनेक आधुनिक गाथाएं लिखी गई हों, लेकिन समय के साथ सामने आ रही इंसानी जरूरतों के सामने यह सीमित क्षमता वाले उपकरण बन गए हैं। डाटा एवं तथ्य जुटाना और फिर उनका विश्लेषण किसी भी शोध और नवाचार की पहली आवश्यकता है। यह गणना और विश्लेषण जितना सटीक एवं समयबद्ध होगा, शोध उतना ही व्यावहारिक और परिशुद्ध होगा। ऐसे ही उद्देश्यों के साथ विश्व भर के विज्ञानी क्वांटम कंप्यूटर बनाने में जुटे हैं। यह सुपर कंप्यूटर से कई गुना तेज है।

अभी हम जिस कंप्यूटर और लैपटाप में काम करते हैं, वे अक्षर, अंक या तस्वीरों को बाइनरी 0 और 1 रूप में संग्रहित करते हैं। इसमें कोई भी जानकारी एक समय में 0 या 1 की शक्ल में होगी। वहीं क्वांटम कंप्यूटर में जानकारियां क्यूबिट में संग्रहित होती हैं। क्यूबिट्स उप परमाणवीय कण हैं। अनिश्चिता और संभाव्यता इनका सबसे अहम गुण है। इनकी कोई एक स्थिति तय नहीं होती है। उदाहरण के लिए एक सिक्का हवा में उछालते हैं तो भौतिकशास्त्र का परंपरागत नियम कहता है कि वह एक समय में शीर्ष या पृष्ठ रूप में होगा। वहीं क्वांटम इंजीनियरिंग मानती है कि वह शीर्ष और पृष्ठ के अलावा अनिश्चित स्थिति में भी हो सकता है। यहां तक कि सिक्का घूमते समय शीर्ष और पृष्ठ, दोनों ही रूप में एक साथ हो सकता है। भौतिकी में इसे सुपरपोजिशन भी कहते हैं। यही क्वांटम कंप्यूटिंग का आधार है। क्वांटम कंप्यूटर संभाव्यता पर काम करता है, इसलिए यह एक से अधिक अधिक संभावनाओं, डाटा कल्पनाओं का विश्लेषण एक साथ करने में सक्षम है। जटिल और उलझे हुए एल्गोरिदम का भी भविष्य के ये कंप्यूटर चंद सेकेंड में समाधान कर देंगे।

 राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जैसे अभियान से देश अगले कुछ वर्षों के भीतर 500 से 1000 क्यूबिट्स का क्वांटम कंप्यूटर बनाने में सफल होगा। ऐसी तैयारियां देश के रक्षा प्रतिष्ठानों को क्वांटम तकनीक आधारित साइबर हमलों से बचाव का कवच प्रदान करेंगी।

विश्व में क्वांटम कंप्यूटर प्रोटोटाइप प्रतिरूप से आगे बढ़कर व्यावहारिक उपकरण बन चुके हैं। हालांकि अभी इनमें बहुत कम क्यूबिट होने से इनका दायरा सीमित है। जैसे ही विज्ञानी इन कंप्यूटरों में क्यूबिट की वृद्धि कर लेंगे, ये जीवन के लिए अभूतपूर्व तकनीकी वरदान बन सकते हैं। हालांकि, क्वांटम कंप्यूटर की ताकत ही उसके साथ आशंकाएं भी पैदा करती है। बेहद ताकतवर ये कंप्यूटर किसी भी एनक्रिप्शन और क्रिप्टोग्राफी को भेदने में चंद सेकेंड भी नहीं लगाएंगे। यही वजह है कि भारत समेत दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियां क्वांटम कुंजी समेत पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसी साइबर सुरक्षा तैयार कर रही हैं। देश ने सुरक्षित क्वांटम संचार प्रणाली से लेकर एल्गोरिदम की ओर जिस प्रभावी तरीके से कदम बढ़ाया है, उससे क्वांटम क्रांति में भारत अहम किरदार होगा। अमेरिका और चीन जैसे देश क्वांटम तकनीक के जरिये जहां साइबर सेंधमारी और प्रौद्योगिकी आधारित शह-मात के खेल में जुटे हैं, वहीं मानवीय कल्याण के मंत्र पर आधारित भारतीय क्वांटम क्रांति से संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा।

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