
लोहरा जनजाति
लोहरा जनजाति का परिचय ,Introduction to the Lohra Tribe, Lohra janjati ka parichaya
लोहरा झारखंड की अनुसूचित जनजातियोँ मेँ एक पेशेवर जाती है। प्रजातीय दृष्टि से लोहरा को प्रोटो ऑस्ट्रो लायड समूह में रखा जाता है ।
लोहरा जनजाति की जनगणना (Census of Lohra Tribe)
इसकी जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 216226 है , जो राज्य की जनजातिय जनसंख्या का 2,50 प्रतिशत है। यह मुख्य रूप से रांची , गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा , सिंहभूम, संथाल परगना, हजारीबाग, पलामू, धनबाद , बोकारो , गिरिडीह जिले में पाए जाते हैं।

लोहरा जनजाति की महत्वपूर्ण विशेषता
लोहरा जनजाति की महत्वपूर्ण विशेषता (Important feature of Lohra tribe)
लोहरा जनजाति की परंपरागत पेसा लोहारी करना है, ये कृषि संबंधी लोहे का उपकरण बनाते हैं । पितृसत्तात्मक एवं पित्रवंशीय लोहरा जनजाति में एकल विवाह एवं बहिरगोत्रीय विवाह की परंपरा पाई जाती है। इनमें टोटम पर आधारित गोत्र प्रणाली पाई जाती है। इनमें प्रमुख गोत्र साठ, सोन, मगहिया, तूतली ,कछुआ,धान ,तिर्की आदि। इनमें वधू मूल्य का पाया जाता है। सिंगबोंगा और धरती माई इनके प्रमुख देवता है । इनका प्रमुख त्यौहार सरहुल, कर्मा, सोहराई और फगुआ आदि है ।लोहरा सदानी भाषा का प्रयोग करते हैं, इनकी भाषा सदानी है।