शिक्षण विधि, TEACHING METHOD,आगमन विधि (Inductive Method) ,निगमन विधि (Deductive Method), प्रोजेक्ट विधि (Project method) ,प्रत्यक्ष विधि (Direct method) ,विश्लेषण विधि (Analysis method) , संश्लेषण विधि (Synthesis method) ,अनुकरण विधि (Simulation method) ,व्याख्यान विधि (Lecture Method) ,मारिया मांटेसरी विधि (Montessori method)
1. आगमन विधि (Inductive Method) =
आगमन विधि के जनक/प्रतिपादक अरस्तू हैं। इस विधि में सीधे अनुभवों, उदाहरणों तथा प्रयोगों का अध्ययन करके नियम निकाले जाते है। यह शिक्षण विधि” छात्र केंद्रित” विधि है, जो विद्यार्थियों को” करके सीखने” पर बल देती है यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है। इस विधि में तर्क करते हुए 1- उदाहरण से नियम की ओर 2- स्थूल से सूक्ष्म की ओर 3- विशिष्ट से सामान्य की ओर 4- ज्ञात से अज्ञात की ओर 5- मूर्त से अमूर्त की ओर 6- प्रत्यक्ष से प्रमाण की ओर आगे बढ़ते हैं।
2. निगमन विधि (Deductive Method) =
निगमन विधि के जनक/प्रतिपादक अरस्तू हैं। इस विधि में सर्वप्रथम विद्यार्थियों को नियमों का ज्ञान दे दिया जाता है इसके पश्चात ” उदाहरण ” देकर उन नियमों को समझाया जाता है यह विधि एक” शिक्षक केंद्रित” विधि कहलाती है इसमें शिक्षक ही सारे नियम सिखाते हैं। ” निगमन विधि ” आगमन विधि के ठीक विपरीत कार्य करती है।
इस विधि में
i. प्रमाण से प्रत्यक्ष की ओर
ii. सूक्ष्म से स्थूल की ओर
iii. सामान्य से विशिष्ट की ओर
iv. अज्ञात से ज्ञात की ओर
v. “नियम से उदाहरण की ओर” आगे बढ़ते हैं।
3. प्रोजेक्ट विधि (Project method) =
इसके प्रवर्तक ” किल पैट्रिक” थे। यह विधि अनुभव केन्द्रित होती है। यह बालकों के समाजीकरण पर विशेष बल देती है। इस विधि में विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से कार्य करता है एवं अपनी समस्याओं का हल अपने स्वयं के विचारों के आधार पर करता है। यह विधि वास्तविकता के सिद्धांत पर कार्य करती है क्योंकि यह विद्यार्थियों को इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करती है जिससे वे अपने जीवन की समस्याओं का भी समाधान कर सकें। यह एक “बाल केंद्रित शिक्षा” है। इस विधि में विद्यार्थी सक्रिय/ क्रियाशील रहते हैं समूह में रहकर कार्य करना सीखते हैं इससे उनमें आत्मविश्वास भी पैदा होता है।
4. प्रत्यक्ष विधि (Direct method) =
इस विधि में बालक को बिना व्याकरण के नियमों का ज्ञान कराएं भाषा सिखाई जाती है । इस विधि में जो बालक की मातृभाषा होती है उसे बिना मध्यस्थ बनाएं उसे अन्य भाषा सिखाई जाती है अर्थात मातृभाषा की सहायता नहीं लेकर बल्कि विद्यार्थी को सीधे बार-बार मौखिक एवं लिखित अभ्यास दवारा सीधे नई भाषा सिखाई जाती है इसमें क्षेत्रीय भाषा का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। इस विधि में वार्तालाप के माध्यम से अधिक से अधिक सीखने पर बल दिया जाता है जिससे वह प्राकृतिक रूप से सीख सकें। इस विधि में श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है प्राथमिक कक्षाओं हेतु यह विधि अत्यधिक उपयोगी है। इस पद्धति का मुख्य सिद्धांत यह है कि जिस प्रकार बालक श्रवण एवं अनुकरण द्वारा मातृभाषा सीख लेता है, उसी प्रकार वह दूसरी भाषा भी सीख सकता है।
5. विश्लेषण विधि (Analysis method) =
इस विधि के जनक “हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग” हैं। इस विधि में समस्या को छोटे-छोटे भागो में बाँट कर उनका अध्ययन व समीक्षा करते हुए उसे हल किया जाता है। इस विधि में उपयुक्त गणितिय प्रक्रिया अपनाते हैं।
6. संश्लेषण विधि (Synthesis method) =
इस विधि के जनक “हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग” हैं। विश्लेषण तथा संश्लेषण विधि एक दूसरे के पूरक होती है। विश्लेषण कर लेने के पश्चात ही संश्लेषण का कार्य होता है। इस विधि में किसी समस्या के छोटे-छोटे भागो को जोड़ते हुए समस्या का हल किया जाता है। इस विधि का प्रयोग प्रायः ज्यामिति (Geometry) में किया जाता है। प्रो. यंग के अनुसार-संश्लेषण विधि द्वारा सूखी घास से तिनका निकाला जा सकता है परन्तु विश्लेषण विधि में स्वयं तिनका घास से बाहर निकलना चाहता है।
7. अनुकरण विधि (Simulation method) =
इस विधि में बालक अनुकरण करके सीखता है इस लिए इस विधि को अनुकरण विधि कहा जाता है। इस विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण करके लिखना, पढ़ना व नवीन रचना करना सीखता है। इस विधि के अन्तर्गत बालक शिक्षक के उच्चारण को सुनकर वाचन करना सीखते हैं। पहले शिक्षक बोलता है, फिर बच्चे उसका अनुसरण करते है। इस विधि के आधार पर ही शुद्ध उच्चारण को ही भाषा शिक्षक का सर्वश्रेष्ठ गुण माना जाता हैं।
8. व्याख्यान विधि (Lecture Method) =
व्याख्यान विधि में किसी तथ्य, विषय की व्याख्या की जाती है। व्याख्यान विधि को शिक्षण की सबसे प्राचीन विधि माना जाता है। इस विधि में शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है इसलिए इसे शिक्षक केंद्रित शिक्षण विधि मानी जाती है। यह विधि स्मृति स्तर (Memory Level) का शिक्षण अधिगम कराती है। सामाजिक विज्ञान में व्याख्यान विधि का प्रयोग सबसे अधिक होता है। व्याख्यान शिक्षण विधि में पाठ्य वस्तु एवं विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण पर अधिक बल दिया जाता है।
9. मारिया मांटेसरी विधि (Montessori method) =
मारिया मांटेसरी इटली की एक चिकित्सक तथा शिक्षा शास्त्री थे। जिनके नाम से शिक्षा की मांटेसरी पद्धति प्रसिद्ध है। यह पद्धति ढाई वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों हेतु प्रयोग में ली जाने वाली पद्धति है। इसका विकास डॉक्टर मारिया द्वारा रूस विश्वविद्यालय में मंदबुद्धि बालको की चिकित्सा हेतु उनकी शिक्षा हेतु किया गया जो कुछ समय के बाद सामान्य बुद्धि के बालकों के लिए भी शिक्षा में उपयोग में लाई गई। डॉक्टर मारिया का मानना था, कि शिक्षा का मूल उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास होना चाहिए।
10. डाल्टन विधि (Dalton Law)-