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बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
यह वह प्रथम चरण है जिससे आपकी आधी सफलता सुनिश्चित हो जाती है।
यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों ( प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती हैं जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
बिहार लोक सेवा आयोग प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति :

बिहार लोक सेवा आयोग प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति
सर्वप्रथम प्रारम्भिक परीक्षा के पाठ्यक्रम का अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रुचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें।
विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज़्यादा ध्यान दें जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज़्यादा रही है।
अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है अत: इसमें तथ्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जैसे- ‘मौर्य वंश’ का वास्तविक संस्थापक कौन था ?, कौन-सी नदी ‘बिहार के शोक’ के नाम से जानी जाती है ?, ‘रिकेट्स’ नामक रोग किस विटामिन की कमी से होता है ? इत्यादि ।
इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है।
इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए। जैसे – एक प्रश्न पूछा गया कि भारतीय संविधान का कौन-सा भाग पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित है ? तो आपको भारतीय संविधान के समस्त 22 भागों के प्रमुख शीर्षकों की एक सूची तैयार कर लेनी चाहिये ।
बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में मुख्यतः भारत का इतिहास, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, सामान्य विज्ञान, गणित, बिहार राज्य विशेष एवं समसामयिक घटनाओं के शीर्षक शामिल हैं। इसका विस्तृत विवरण पाठ्यक्रम शीर्षक के अंतर्गत दिया गया है।
सामान्य मानसिक योग्यता से सम्बंधित प्रश्नों का अभ्यास पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को विभिन्न खंडो में वर्गीकृत कर किया जा सकता है।
विज्ञान आधारित प्रश्नों को हल करने के लिये ‘सामान्य विज्ञान- लूसेंट’ की किताब सहायक हो सकती है।
इन परीक्षाओं में राज्य विशेष एवं समसामयिक घटनाओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या ज़्यादा होती है अत: इनका नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिये।
बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में ऐतिहासिक घटनाक्रम, स्वतंत्रता संग्राम में बिहार की भूमिका और भूगोल विषय में भारत एवं बिहार के भूगोल का विशेष ध्यान रखना चाहिये।
इसी प्रकार प्रारम्भिक परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का बिहार राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
इन परीक्षाओं में संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इण्डिया इयर बुक) का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण पढ़ना लाभदायक रहता है।
प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत:15 -20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
बी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं होने के कारण किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।
बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा की रणनीति :

बिहार लोक सेवा आयोग मुख्य परीक्षा की रणनीति
बी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक (Descriptive) होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से अलग होती है।
प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
सामान्य हिंदी का प्रश्नपत्र केवल क्वालिफाइंग (कम से कम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य) होता है लेकिन परिणाम की दृष्टि से इस परीक्षा में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि इसमें असफल होने वाले अभ्यर्थियों की शेष प्रश्नपत्र की उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है।
सामान्य हिंदी में क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने के लिये हिंदी के व्याकरण (उपसर्ग, प्रत्यय, विलोम इत्यादि) की समझ, संक्षिप्त सार, अपठित गद्यांश इत्यादि की अच्छी जानकारी आवश्यक है। इसके लिये हिंदी की स्तरीय पुस्तकें जैसे – वासुदेवनंदन, हरदेव बाहरी द्वारा लिखित पुस्तकों का अध्ययन लाभदायक रहेगा।
सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम में भारत का आधुनिक इतिहास और भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का वर्तमान घटनाक्रम, सांख्यिकी विश्लेषण, आरेखन और चित्रण इत्यादि शामिल हैं।
भारत का आधुनिक इतिहास और भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के वर्तमान घटनाक्रम का अध्ययन बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में करना प्रासंगिक है। क्योंकि इनसे सम्बंधित ज़्यादातर प्रश्न बिहार से जुड़े हुए होते हैं जैसे- 1857 के विद्रोह में बिहार की भूमिका का वर्णन कीजिये? चम्पारण सत्याग्रह, संथाल विद्रोह, मुंडा विद्रोह, भारत छोड़ो आन्दोलन इत्यादि में बिहार की भूमिका से सम्बंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते रहे हैं ।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के वर्तमान घटनाक्रम के अध्ययन के लिये इस खंड से सम्बंधित प्रारंभिक परीक्षा के लिये अपनाई गई रणनीति का विस्तृत अध्ययन लाभदायक रहेगा।
सांख्यिकीय विश्लेषण, आरेखन और चित्रण में विगत वषों में पूछे गए प्रश्नों का प्रतिदिन अभ्यास करना लाभदायक रहेगा। इसके लिये एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तक की सहायता ली जा सकती है।
सामान्य अध्ययन के द्वितीय प्रश्नपत्र के पाठ्यक्रम में भारतीय राजव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था और भारत का भूगोल, भारत के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका और प्रभाव शामिल है।
इस प्रश्नपत्र के भी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन बिहार राज्य विशेष के सन्दर्भ में करना प्रासंगिक है,क्योंकि इनसे सम्बंधित ज़्यादातर प्रश्न बिहार से जुड़े हुए होते हैं। साथ ही तकनीक की उपयोगिता से सम्बंधित अनुप्रयोगात्मक प्रश्न भी पूछे जाते हैं। जैसे- भारत के सन्दर्भ में सुदूर संवेदी उपग्रह की उपयोगिता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। 4जी, 5जी तकनीक क्या है? दैनिक जीवन में इनकी क्या उपयोगिता है? इत्यादि ।
नवीन संशोधन के अनुसार, अब वैकल्पिक विषयों का पाठ्यक्रम पूर्व के प्रथम प्रश्नपत्र एवं द्वितीय प्रश्नपत्र को मिलाकर होगा। ऐसे में जहाँ समय प्रबंधन एक चुनौती बन कर उभरा है, वहीं इस मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की विस्तृत समझ आवश्यक है।
मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की तैयारी के लिये सम्बंधित विषय के स्तरीय किताबों जैसे- वैकल्पिक विषय इतिहास के चारों खंडों (प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत एवं विश्व इतिहास) के लिये क्रमशः झा एवं श्रीमाली, सतीश चंद्रा, बिपिन चंद्रा एवं बी.एल. ग्रोवर तथा लाल बहादुर वर्मा की पुस्तकें तथा दृष्टि डी.ल.पी. नोट्स का अध्ययन करके बिन्दुवार नोट्स एवं प्रश्नों की सिनोप्सिस तैयार करना लाभदायक रहता है। इससे आप मुख्य परीक्षा के दौरान सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का त्वरित अध्ययन कर सकते हैं।
विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास निरंतर अभ्यास से आता है जिसके लिये विषय की व्यापक समझ अनिवार्य है।
⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें
बिहार लोक सेवा आयोग साक्षात्कार की रणनीति :

बिहार लोक सेवा आयोग साक्षात्कार की रणनीति
मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
वर्तमान संशोधन के अनुसार बी.पी.एस.सी. में साक्षात्कार के लिये 120 अंक निर्धारित हैं (पूर्व में 150 अंक निर्धारित था)।
अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त कुल अंकों के आधार पर तैयार मेरिट लिस्ट के आधार पर होता है।