Biography of Priya Jaiswal | Bihar Board 12Class Topper

  • प्रिया जायसवाल, पश्चिम चंपारण, बिहार की रहने वाली हैं और 2025 के बिहार बोर्ड 12वीं परीक्षा में विज्ञान संकाय में टॉपर बनी हैं।
  • उनका स्कोर 500 में से 484 (96.8%) है, और उनके पिता एक किसान हैं जो एक किराना दुकान भी चलाते हैं।
  • वह डॉक्टर बनने का सपना देख रही हैं और NEET की तैयारी के लिए कोटा में हैं।
  • यह जानकारी बिहार बोर्ड के आधिकारिक परिणाम और समाचार लेखों से ली गई है, जो विश्वसनीय स्रोत हैं।

प्रिया जायसवाल की जीवनी और लेख

परिचय

प्रिया जायसवाल, एक 17 वर्षीय छात्रा, पश्चिम चंपारण, बिहार से हैं, जहां उन्होंने बिहार बोर्ड 12वीं परीक्षा 2025 में विज्ञान संकाय में टॉपर बनकर इतिहास रचा। उनके 484/500 (96.8%) अंक न केवल उनकी मेहनत को दर्शाते हैं, बल्कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए एक प्रेरणा भी हैं।

पृष्ठभूमि और परिवार

प्रिया के पिता, सतोष जायसवाल, एक किसान हैं और एक छोटी किराना दुकान भी चलाते हैं, जबकि उनकी माता गृहिणी हैं। उनके परिवार ने उनकी शिक्षा में पूरा सहयोग दिया, उन्हें घरेलू कामों से मुक्त रखा और अध्ययन सामग्री प्रदान की। उनकी बड़ी बहन ने भी उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शैक्षिक यात्रा

प्रिया ने पश्चिम चंपारण के SS हाई स्कूल हरनातंद से पढ़ाई की। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें 500 में से 484 अंक हासिल करने में मदद की, जिसमें उनके विषय थे:

  • अंग्रेजी: 97/100
  • हिंदी: 94/100
  • भौतिकी: 95/100
  • रसायन विज्ञान: 100/100
  • जीव विज्ञान: 98/100
Untitled Project Time 0 00 1215

भविष्य की योजनाएं

प्रिया का सपना डॉक्टर बनने का है, और वह NEET की तैयारी के लिए कोटा में रह रही हैं। उनकी इस यात्रा में उनके परिवार का समर्थन और उनकी मेहनत उन्हें सफलता की ओर ले जा रही है।

विस्तृत सर्वेक्षण नोट

प्रिया जायसवाल की कहानी ग्रामीण भारत से एक उभरते सितारे की है, जो शिक्षा के माध्यम से अपने सपनों को साकार कर रही हैं। यह नोट उनकी जीवनी, उपलब्धियों, और प्रेरणादायक यात्रा का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की संभावनाओं को भी उजागर करता है।

प्रिया जायसवाल का प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

प्रिया जायसवाल, 17 वर्ष की, पश्चिम चंपारण, बिहार से हैं, एक क्षेत्र जो ऐतिहासिक रूप से कृषि और गांधीजी के सत्याग्रह के लिए जाना जाता है। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां उनके पिता, सतोष जायसवाल, एक किसान हैं और एक छोटी किराना दुकान भी चलाते हैं। उनकी माता गृहिणी हैं, और परिवार की आर्थिक स्थिति सीमित है। फिर भी, उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी, उन्हें घरेलू कामों से मुक्त रखा और अध्ययन के लिए सभी सुविधाएं प्रदान की। उनकी बड़ी बहन ने भी रातों को जागकर उनकी मदद की, खासकर बोर्ड परीक्षाओं के समय।

शैक्षिक यात्रा और उपलब्धियां

प्रिया ने पश्चिम चंपारण के SS हाई स्कूल हरनातंद से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें बिहार बोर्ड 12वीं परीक्षा 2025 में विज्ञान संकाय में टॉपर बनने का गौरव हासिल किया। उनके अंक इस प्रकार हैं:

विषयसिद्धांत (Theory)प्रायोगिक (Practical)कुल अंक
अंग्रेजी97/100
हिंदी94/100
भौतिकी653095/100
रसायन विज्ञान7030100/100
जीव विज्ञान683098/100

कुल मिलाकर, प्रिया ने 500 में से 484 अंक हासिल किए, जो 96.8% के बराबर है। यह उपलब्धि न केवल उनकी मेहनत को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता और संभावनाओं को भी उजागर करती है।

तैयारी और रणनीति

प्रिया ने प्रत्येक विषय पर 2-2 घंटे ध्यान केंद्रित किया और पाठ्यपुस्तकों के बाद प्रश्न-आधारित अध्ययन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रश्न-आधारित अध्ययन किसी भी छात्र की सफलता के लिए आवश्यक है।” उनके परिवार ने उन्हें घरेलू कामों से मुक्त रखा, जिससे वे पूरी तरह से अध्ययन पर ध्यान दे सकीं।

भविष्य की योजनाएं और प्रेरणा

प्रिया का सपना डॉक्टर बनने का है, और वे NEET की तैयारी के लिए कोटा में रह रही हैं, जो भारत में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए प्रसिद्ध है। उनकी इस यात्रा में उनके परिवार का समर्थन और उनकी मेहनत उन्हें सफलता की ओर ले जा रही है। उनकी कहानी ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो दिखाती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से सपने साकार हो सकते हैं।

समाचार और मान्यता

प्रिया की सफलता ने राज्य भर में सुर्खियां बटोरीं। बिहार सरकार ने टॉपर्स को पुरस्कार भी दिए, जिसमें प्रथम स्थान पर आने वाले को 2 लाख रुपये, लैपटॉप, प्रमाणपत्र और पदक दिया गया।

ग्रामीण शिक्षा और प्रेरणादायक पहलू

प्रिया की कहानी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की चुनौतियों और संभावनाओं को दर्शाती है। पश्चिम चंपारण, जो कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, अब शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। प्रिया की सफलता से पता चलता है कि सही मार्गदर्शन और समर्पण से, ग्रामीण छात्र भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रिया जायसवाल की यात्रा एक प्रेरणादायक कथा है, जो दिखाती है कि सपने, चाहे कितने भी बड़े क्यों न हों, मेहनत और समर्थन से साकार हो सकते हैं। उनकी कहानी न केवल उनके परिवार और स्कूल के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे बिहार और ग्रामीण भारत के लिए एक मिसाल है।

Leave a comment

Top 10 fastest centuries in World Cup history