खोरठा  व्याकरण उपसर्ग (उपसरग ) |khortha vyakaran upsarg

जो शब्दों से पहले लगकर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देतें हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं ।

  • खोरठा में उपसर्गो से बने शब्द :—

     उपसरग (उपसर्ग )          सबद ( शब्द )

  •  अ — अजगुत (आराम से ) , अकारथ ( बेकार ) , अजगइबी ( अचानक ) , अगरा ( आगे वाला ), अकरइखइन (खूँद -खूँद के किचड़ बना देना ) , असगर (अकेले ) ,अखन ( अभी )
  •  अड़ — अड़गाही (आगे की ओर से उठाना ) ,अड़गड़ी ( आगे की ओर उठना ) ,अड़ल डँटें रहना ) ,अड़बेरिया ( शाम और दोपहर के बीच का समय)
  •  अध :– अधिखेंचरा (अधुरा ) , अधकचरा (आधा -अधूरा ) ,अधमोखा ( आधा -अधूरा), अधपुरवा (आधा कार्य )
  •  अधि :– अधिअउरी (आधा हिस्सा ) ,अधिया (आधा भाग ) ,अधियाइल ( उबलनांक बिंदु )
  •  अन :– अनगुत ( अधिक सुबह ) , अनठेहरी ( अन्दाजी ) , अनका (दूसरे का )
  •  अर:– अरवा (बिना उबाला धान से बना चावल ),अरखन (भूँसा ) ,अझुराइल ( ओझराया )
  •  कठ:– कठाही ( एक काठ या चालिस सेर वाला ) ,कठखोंटकी (लकड़ी को नोचने)
  •   कु:– कुरचा (झगड़ालु) , कुधा ( ढेर ), कुचराहा (ईष्यारलू ) , कुसटाहा ( बदमाश ), कुकुर (कुत्ता)
  •  गड़:– गड़पतरा(बिना नाप तौल के ) ,गड़गड़िया ( गोल आकार का लोहे का रिंग ,खिलौना ) ,गड़धक्का ( जोर से धक्का देना )
  •  गर:– गरजुइल (ठीक से काम नहीं करना ?) , गरगत (दुःर्भाग्य ), गर-गर (उबलने की आवाज) ,गरसड़ ( मोटा -मोटी )
  •   गोड़ :– गोड़धरवा ( पैर पकड़ने वाला ) ,गोड़ लंघा (पैर से लाघना )
  •  घर :–  घर (घर के भीतर रहने वाला ) ,घरमोहड़ी (घर का अग्र भाग ) ,घरजमायं (पत्नी के घर बसनें वाला ) ,घरकरना ( घरेलू सामान )
  •   नि :– निखउतिया (कम खाने वाला ) , निगोड़ि ( कुलक्षण वाली ), निमुहियाँ (कम बोलने वाली )
  •  वि :– बिसराइन (मांस गंध युक्त ) , बिसराहा ( भूलने वाला ) ,बिसाइन (जहराइल )
  •  बे :– बेजुइत (बिना सहुलियत ), बेलुइर (काम करने का ज्ञान का अभाव ),बेगत (आदमी ) ,बेस ( अच्छा )
  •  मुड़ :– मुड़रा ( सिर का बाल मुड़वाने वाला ) , मुड़मरवा (जान से मरवाने वाला ) , मुड़गड़ी (शव दफनाने का स्थान )
  •  हर:– हरगढ़ी (गीला मिट्टी वाला खेत ) , हरनठ ( मजबुत )

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