झारखण्ड का उत्तर – मौर्य काल
झारखंड क्षेत्र से उत्तर मौर्यकालीन शासकों इंडोग्रीक (indo-greek ),सुफियान ,कुषाण तथा सिंहभूम में रोमन सम्राट के सिक्के हुए हैं । चाईबासा क्षेत्र से इंडोसिथियान तथा रांची से कुषाण कालीन सिक्के प्राप्त हुए हैं ,जिस पर किसी शासक का उल्लेख नहीं है।
गुप्त वंश के शासक समुद्रगुप्त ने इस क्षेत्र पर अपना विजय अभियान चलाया था। समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरीषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति में छोटानागपुर क्षेत्र के लिए ‘मुरूण्ड देश’ शब्द का प्रयोग हुआ है।
हवेनसांग अनुसार समुद्रगुप्त के बाद शशांक ने पूरे झारखंड प्रदेश पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। उसने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म विरोधी नीति चलाकर हिंदू धर्म के पुनरुत्थान का प्रयास किया। क्योंकि शशांक शैव धर्म को मानने वाला था। अतः उसने दुल्मी , तेलकूपी, पाकबीरा आदि अनेक स्थलों पर शैव मंदिरों का निर्माण करवाया था।
शशांक और समुद्रगुप्त के अतिरिक्त इस क्षेत्र पर पड़ोसी शासकों ने भी आक्रमण किया था, गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल वंश के शासक प्रमुख थे।