खोरठा संज्ञा ( संइगा ) ,khortha vyakaran sangya
हिन्दी जइसन खोरठा में कोनों चीजेक नाम , जगS के नाम ,कोनो गोंठ -तोंठ ,भाभ- विचार ,के नाम के संइगा कहल जा हे । (हिन्दी जैसा खोरठा में किसी स्थान ,समूह ,भाव आदि को संज्ञा कहा जाता है ) जैसे :-राम, चीनी ,पटना ,सैनिक आदि ।
संज्ञां के किसिम ( संज्ञा के प्रकार )
(1)- बेकति बाचक संइगा ( व्यक्ति वाचक संज्ञा ) —
मोहन , गंगा ,दिल्ली , फगुआ (होली) सोहराइ (दिवाली )आदि । इ सोब से कोनों एक जिनिस ,वेकति ,जगS (जगह) के नाम बुझा हे ।(इन सबों से किसी एक वस्तु ,स्थान का बोध होता है ।)
कुछ उदाहरण :-
खोरठा मे वाक्य निर्माण हिन्दी अर्थ
1-सुरेस घर गेल हे । सुरेश घर गया है ।
2-सूरज पूरब उगे हे । सूर्य पूरब में उगता है।
3- गंगा भारतेक सोबसे बोड़ नदी हे । गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है ।
4- रिगवेद सोबसे पुरना बेद हे । ऋगवेद सबसे पुराना वेद है।
5- गनतंइत्र दिवस भारतेक रास्टरीय परब हे । गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है ।
(2) जाइतेक बाचक संइज्ञा ( जातिवाचक संज्ञा ) :-
जे संइगा से कोनों जाइत भीड़ के भाव बुझाS हे ,ओकरा जाइतेक वाचक संइगा कहल जा हे ।(जिस संज्ञा से किसी जाति ,समूह का बोध हो उसे जाति वाचक संज्ञा कहते हैं ।)
कुछ उदाहरण ;-
जातिवाचक संज्ञा खोरठा में वाक्य निर्माण हिन्दी अर्थ
1- पोहना पोहना काइल घइर अयबथुन। अतिथि कल घर आयेगें।
2-गरू गरू सोब धाइन चइर गेलो बैल सब धान खा गया ।
3-ढाँगर ढाँगरवा आइज आइज बीमार पइड़ गेलइ । नौकर आज बीमार हो गया ।
4-छउआ छउआ काँइद रहल हे । बच्चा रो रहा है ।
5- नदी नदीये बाइढ़ आइल हे । नदी में बाढ़ आया है ।
(3)- गोंठ बाचक संइगा ( समूह वाचक संज्ञा ) ;-
जे संइगा में कोनो जाइत भीड़ के भाव बुझाS हे, ओकरा जाइतेक वाचक संइगा कहल जा हे । (जिस संज्ञा से किसी जाति ,समूह का बोध होता है उसे जाति वाचक संज्ञा कहते हैं ।)
समूह वाचक संज्ञा ( खोरठा) खोरठा में वाक्य निर्माण हिन्दी अर्थ
1- बइठकी बइठकी में गाँवेक अदमी आइल । बैठकमे गाँव के आदमी आये हैं ।
2-जतरा जतरा में जनी आर छउवा के बेस लागे हे । मेला मे बच्चों और औरतों को अच्छा लगता है।
3-पेंठिया पेठिया साँझ बेरा लागे हे । बाजार शाम के समय लगती है ।
4 – इसकूल इसकूलवा ठाँवे हे । स्कूल नजदीक में है ।
5-बरियात बरियात में खुबे नाच – गान होवे हे । बारात मे बहुत नाच- गान होता है।
6-कलास क्लास में मास्टर पढ़ावे हे । कक्षा में शिक्षक पढ़ाते हैं ।
(4)-बसुत बाचक संज्ञा ( द्रव्य वाचक संज्ञा ):-
जे संइगा से वइसन बसतु जेकरा नाइप-तोल करल जाइ सके ,ओकरा बसतु वाचक संइगा कहल जा हे ।( जिस संज्ञा से वैसे वस्तु जिसकी नाप – तौल किया जा सके उसे द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं ।)
द्रव्य वाचक संज्ञा( खोरठा ) खोरठा में वाक्य निर्माण हिन्दी अर्थ
1-पखन पोंखन वजनी होवे हे । पत्थर भारी होता है।
2-लुगा लुगा से देही के ढाँकल जा हे । वस्त्र से शरीर ढँका जाता है ।
3- सोना सोना के गहना पींधल जा हे । सोना के आभुषण पहने जाते हैं ।
4-दूध दूधवा एकदमे पातर हे । दुध बिल्कुल पतला है ।
5-माटी तेल माटी तेल महरंग होय गेलक हे । किरासन तेल महँगा हो गया है ।
(5)- भाब बाचक संइगा (भाव वाचक संज्ञा ):–
जे सइंगा से बेकति चाहे वसतु के गुन ,धरम ,आर दसा के माने जइसन बुझा हे ,ओकरा भाव विचारेक सइंगा कहे हथिन ।(जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण ,धर्म या दशा का बोध होता हो ,उसे भाव वाचक संज्ञा कहते है । )
भाव वाचक संज्ञा ( खोरठा ) खोरठा में वाक्य निर्माण हिन्दी अर्थ
1-छउआ छउआ गुला ओगरिया में खेले हथिन । बच्चे घर के बाहर खेल रहें हैं।
2-ढढ़नच ढढ़नच नाञ कर हम बुझS हे । नाटक मत करो हम समझरहें हैं ।
3-चपचपी बरसात से गोटे अंगनवा चपचपाइ गेले हे । वर्षा से पूरा आँगन कीचड़ युक्त हो गया है ।
4-ढाँगा ऊ अदमी टा केते ढाँगा हे । वह आदमी कितना लम्बा है।
5-बुढ़ा बुढ़ा गिला घामे बइठल हथिन । बुढ़ा लोग धुप में बैठे हैं।