Button Mushroom ki kheti kaise kare | स्वेत बटन मशरूम की खेती                             

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परिचय (Introduction)

देश में स्वत बटन मशरूम खुम्ब की एगरिकस बाईसोपोरस प्रजाति की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। उत्पादन की दृष्टि से इस खुम्ब का भारत में प्रथम स्थान । देश के मैदानी एवं पहाड़ी भागों में श्वेत बटन खुम्ब को शरद ऋतु में उगाया जाता है क्योंकि इसे तुम्हें तापमान कम हवा में नमी अधिक होती है।शरद ऋतु के आरंभ और अंत तक इस तापमान नमी को आसानी से बनाए रखा जा सके।

तापमान (Temperature)

अन्य फसलों के विपरीत खुम्ब को कमरों या झोपड़ियों में उगाए जाता है।जहाँ पर उपरलिखितव आद्रता बनाई जा सके।खुम्ब उगाने की शुरूआत एक 10’*10’*12′ के कमरे से की जा सकतीहै।खुम्ब की खेती करने का तरिका खाद्यान एवं बागवानी फसलों से बिल्कुल भिन्न है।अतः बीपी शुरू करने से पहले शिक्षण लेना हितकर होगा फिर भी प्रारम्भिक जानकारी देने के उद्देश्य से श्वेत बटन मशरूम खेती करने का विवरण निम्न प्रकार है:-

स्वेत बटन खुम्ब उगाने का तरीका :–

आजकल वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के फल स्वरूप खुम्ब को कृत्रिम ढंग से तैयार की गई खाद (कम्पोस्ट) पर उगाया जा रहा है।श्वेत बटन खुम्ब उगाने के लिए खाद (कम्पोस्ट)तीन विधियों से तैयार की जाती है।

(1) छोटी विधि

(2) लंबी विधि

(3) इंडोर विधि

छोटी वाली इंडोर विधि से खाद तैयार करने में समय कम लगता है, लेकिन अधिक पूंजी व संसाधनों की आवश्यकता होती है, लघु स्तर पर खुम्ब उत्पादन करने के लिए लंबी विधि से खाद तैयार करना ही उत्तम रहता है। अधिक उपज(उत्पादन ) बीमारियों रहित खुम्ब उत्पादन के लिए छोटी और इंडोर विधि द्वारा बनाई गई खाद युक्त होती है। लेकिन खुम्ब उत्पादन शुरू करने और प्रारंभिक ज्ञान हेतु लंबी अभी से खाद बनाई जाती है खाद बनाई जाती है।अतः यहां पर लंबी विधि से कंपोस्ट तैयार करने की विधि कहीं विवरण दिया जा रहा है।

1. लंबी विधि से खाद कंपोस्ट तैयार करना:-

सूत्र न :–

1. गेहूं का भूसा                                           300 किलोग्राम

2 कैलशियम अमोनिया नाइट्रेट कैन खाद      9 किलोग्राम

3 यूरिया                                                            4 किलोग्राम

4 रेट और पोटाश खाद                                     3 किलोग्राम

5 सुपर फास्टफेट खाद                                      3 किलोग्राम

6 चोकर गेहूं का                                                15 किलोग्राम

7 जिप्सम                                                          20 किलोग्राम

सूत्र न.2

1.भुसा और पुआल (करीब 6″ कटा हुआ                  300 किलोग्राम बराबर मात्रा में )

2. कैलशियम अमोनियम नाइट्रेट खाद                          9 किलोग्राम

3. यूरिया                                                                          4 किलोग्राम

4. चोकर                                                                           15 किलोग्राम

5 जिप्सम                                                                         20 किलोग्राम

विधि

ऊपर लिखे किसी एक सूत्र को ऊपर लिखे किसी एक सूत्र को चुनकर नीचे दिए गए चरणों में कंपोस्ट तैयार करें।

1. मिश्रण तैयार करना:–

भूसे या भूसे तथा पुआल के मिश्रण को पक्के फर्श पर 1 या 2 दिन 24 से 48 घंटे तक रुक- रुक कर पानी का छिड़काव करके गिला किया जाता है। भूसे को गीला करते समय पैरों से दबाना अच्छा रहता है, जब भूसा ठीक से गिला हो जाए इसे ढेर बनाकर एक तरफ रख दिया जाता है। गीले भूसे की ढेरी बनाने के 12 से 16 घंटे पहले , जिप्सम को छोड़कर अन्य सभी सामग्री जैसे उर्वरकों व चोकर को एक साथ मिलाकर हल्का किला कर लेते हैं ऊपर से गिरी बोरी से ढ़क देते हैं ।

2. ढेर बनाना:–

3. पलटाई क्रम:-

विधि

ऊपर लिखे किसी एक सूत्र को ऊपर लिखे किसी एक सूत्र को चुनकर नीचे दिए गए चरणों में कंपोस्ट तैयार करें।

1. मिश्रण तैयार करना:–

भूसे या भूसे तथा पुआल के मिश्रण को पक्के फर्श पर 1 या 2 दिन 24 से 48 घंटे तक रुक- रुक कर पानी का छिड़काव करके गिला किया जाता है। भूसे को गीला करते समय पैरों से दबाना अच्छा रहता है, जब भूसा ठीक से गिला हो जाए इसे ढेर बनाकर एक तरफ रख दिया जाता है। गीले भूसे की ढेरी बनाने के 12 से 16 घंटे पहले , जिप्सम को छोड़कर अन्य सभी सामग्री जैसे उर्वरकों व चोकर को एक साथ मिलाकर हल्का किला कर लेते हैं ऊपर से गिरी बोरी से ढ़क देते हैं ।

2. ढेर बनाना:–गीले किये गए व उर्वरक आदि को मिलाकर करीब 5 फुट ऊँचा ढेर बनते है ,ढेर की लम्बाई सामाग्री की मात्रा पर निर्भर करती है। लेकिन ऊंचाई और चौड़ाई ऊपर लिखे माफ से अधिक व कम नहीं होनी चाहिए, ढेर 5 दिन तक ( ढेर बनाने के दिन के अतिरिक्त) ज्यों का त्यों बना रहता है। पहाड़ी परतो में नमी कम होने पर आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव किया जा सकता है। दो-तीन दिनों में इस ढेर का तापमान करीब 70 से 75 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, जो कि एक अच्छा संकेत है।

3. पलटाई क्रम:- पहली पलटाई ( 6वां दिन ) पलटाई देते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ढेर के प्रत्येक हिस्से को सड़ने- गलने के लिए पर्याप्त वायु या नमी प्राप्त हो जाए।ढेर बनाते समय यदि हाथ में नमी कम हो जाए तो आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव कर सकते हैं, नए घर का आकार व नाप पहले ढेर की भांति होता है, आगे की पलटाईयाँ भी पहली पलटाई की भांति की जाती है।

(ख) दूसरी पलटाई (10वां दिन)

(ग) तीसरी पलटाई( 13 वांदिन):- इस पलटाई के समय जिप्सम भी मिलाएं:-,

(घ) चौथी पलटाई (16वा दिन)

(ङ) पांचवी पलटाई (19वां दिन )

(च) छठवीं पलटाई ( 22वां दिन)

(छ) सातवी पलटाई (25 वां दिन) इस पलटाई के समय नुवान या मेलाथियान(0.1%) का छिड़काव करें

(ज) आठवीं पलटाई( 28 वां दिन)

28 दिन कंपोस्ट मैं अमोनिया व नमी का परीक्षण किया जाता है। नवी का रास्ता जानने के लिए खाद को मुट्ठी में दबाते हैं यदि दबाने और हथेली व उंगलियां गीली हो जाए परंतु खाद से पानी निचोड़कर न बहे ,इस अवस्था में खाद में मी का स्तर उचित होता है , जोकि बिजाई के लिए उपयुक्त है।

अमोनिया का परीक्षण के लिए खाद को सुंघा जाता है, सोने पर यदि अमोनिया की गंध(गौशाला में पशु मूत्र जैसी गंध )आती है दो-तीन दिन के अंतर से एक या दो पलटाई और देनी चाहिए, जब अमोनिया की गंध बिल्कुल समाप्त हो जाए , और उसे 25 डिग्री सेल्सियस तापमान ठंडा होने दें, उसके बाद बिजाई करें। खाद में पीएच का परीक्षण किया जाता है और यह7.2 -7.8 बीच में होनी चाहिए। पीएच नापने हो तो खाद मे थोड़ा कैल्शियम कार्बोनेट मिलाना चाहिए , अगर पीएच 7.8 अधिक हो तो खाद में जिप्सम मिलाना चाहिए।

(ii) बिजाई( स्पानिंग) करना :–

जब खाद तैयार हो जाती है, इसमें बीज मिलाया जाता है। बीज देखने में श्वेत वाह रेशमी कवक जाल युक्त हो तथा इसमें किसी प्रकार क्या हुआ वांछित गंध ना हो। बिजाई करने से पहले विजय स्थान व बिजाई में प्रयुक्त किए जाने वाले बर्तनों को 2% फॉर्मलीन खोल में धोए व बिजाई का कार्य करने वाले व्यक्ति अपने हाथों को साबुन से धोएं, ताकि खाद में इसी प्रकार के संक्रमण से बचा जा सके। इसके पश्चात 0.5 से0.75 % कि दर से बीज मिलाएं यानि कि 100 किलोग्राम तैयार कंपोस्ट के लिए 500-700 ग्राम बीज पर्याप्त है।

(iii) बीजित खाद का पॉलिथीन के थैलों मे भरना व कमरों रखना में :-

:- किसी हवादार कमरे में लोहे या बांस अन्य प्रकार की मजबूत लकड़ी की सहायता से लगभग 2 -2 फुट की दूरी पर कमरे की ऊंचाई की दिशा में ( अलमारी के समान) एक के ऊपर एक मचान बना ले, मचान की चौड़ाई 4′ से अधिक ना रखें। यह कार शुरुआत में ही कर लेना। खाद भरे थैले रखने से 2 दिन पहले इस कमरे के फर्श को 2 प्रतिशत फॉर्मलीन घोल से धोएं तथा दीवारों वह छत पर इस घोल का छिड़काव करें। इसके तुरंत बाद कमरे के दरवाजे तथा खिड़कियां इस तरह बंद रखे हैं की अंदर की हवा बाहर ना आ सके। अभी जाए करने के साथ-साथ 10-12 किलोग्राम बीजीत खाद को पॉलीथिन के थैलों भरते जाएं(20” * 24”) तथा खेलों का मुंह कागज की थैली के सामान पॉलिथीन मोड़कर बंद कर दे। ध्यान रखें कि थैलों में खाद 1फुट से ज्यादा न हो । इसके पश्चात इन थैलों को कमरे में बने बांस के टांड पर एक दूसरे से हटा कर रख दें। खाद को बिजाई करने के पश्चात टांडों के नीचे पॉलिथीन की सीट बिछा दें, खाद को फैलाने के बाद ऊपर से अखबारों से ढक दिया जाता है, और अखबारों पर एक या दो बार पानी का छिड़काव किया जाता है, तत्पश्चात कमरे मैं22-25 डिग्री सेल्सियस तापमान व 80-90% नमी बनाए रखें।तापमान को बिजली चलित उपकरणों जैसे कूलर, हीटर आदि का प्रयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। नमी कम होने पर कमरे की दीवारों पर पानी का छिड़काव करके व पानी भरकर नमी को बढ़ाया जा सकता है।

(iv) किसी मिश्रण तैयार करना व केसिंग परत चढ़ाना:– बिजाई के लगभग 12 से 15 दिन बाद . कवक, जाल(बीज के तंतु) खाजा फैल जाते हैं खाद का रंग गहरे वैसे बदलकर फफूंद जैसा सफेद हो जाता है, इस अवस्था में खाद को केसिंग मिश्रण की परत से ढकना पड़ता है , तभी खुम्ब कलिकायें निकलना आराम्भ होती है। केसिंग मिश्रण एक प्रकार की मिट्टी है इसे 2 साल बाद पुरानी गोबर की खाद व दोमट बराबर (हिस्सों में )को मिलाकर तैयार जाता है, लेकिन इसके केसिंग मिश्रण को खाद पर चढ़ाने से पहले इसे रोगाणुओं व सूत्रकृमि आदि से मुक्त करना होता है।

(v) केसिग के उपरांत रख रखाव:– केसिग प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात अधिक देखभाल करनी पड़ती है प्रतिदिन थैंलों में नमी का जायजा लेना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार पानी का छिड़काव करना चाहिए। केसिग करने के लिए बाइक पर 1 सप्ताह बाद जब कवक जाल केसिग में फैल जाए 22 से 25 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 16-18 डिग्री सेल्सियस पर ले आना चाहिए तथा इस तापमान को पूरे फसल उत्पादन काल बनाए रखना चाहिए। इस तापमान पर छोटी-छोटी खुम्ब कालिकाएं बनना शुरू हो जाती है। जो शीघ्र ही परिपक्व खुम्ब में बदल जाती है। इस चरण में नमी को करीब 85% तक रखें। सुबह व शाम का हेलो पर पानी का छिड़काव करना चाहिए, तापमान व में के अतिरिक्त खुम्ब उत्पादन के लिए हवा का आदान-प्रदान उत्तम आना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि उत्पादन कक्ष में रोशनदान, खिड़की, व दरवाजे द्वारा आसानी से हवा आदान-प्रदान सही होना चाहिए। हवा आसानी से अंदर आ सके और पानी से हवा बाहर जा सके। सुबह-शाम कुछ देर दरवाजे खिड़कियां खोल देनी चाहिए।

(vi)खुम्ब की तुड़ाई ,भण्डारण व उपज :–खुम्ब कालिकाएं बनने के लगभग 2–4 , होकर बड़े-बड़े खुम्बों में परिवर्तन हो जाती है , जब इन खुम्बों की टोपी का आकार 3-4 सेंटीमीटर हो तथा टोपी बंद हो( छत्रक ना बना हो ) तभी नहीं परिपक्व समझना चाहिए और मरोड़ कर तोड़ लेना चाहिए। तुड़ाई के पश्चात शीघ्र ही इन खुम्बों को उपयोग में ले लेना चाहिए यह जल्दी खराब होने वाली सब्जी है। सामान्य तापमान पर खुम्बों वह तोड़ने के बाद 12 घंटे तक सही अवस्था में रखा जा सकता है। 2 से 3 दिन तक फ्रिज में रख सकते हैं, लंबे समय तक भंडारण के लिए मशरूम को 18% नमक के घोल में रखा जा सकता है।

इस बार करीब करीब प्रतिदिन खुम्ब की पैदावार मिलती रहती है तथा 8 से 10 सप्ताह में पूरा उत्पादन मिल जाता है, 1 क्विंटल कंपोस्ट क्या औसतन 12 से 15 किलोग्राम खुम्ब की उपज प्राप्त होती है।

(vii) मौसमी श्वेत बटन मशरूम उत्पादन प्रति किलोग्राम करने के रुपये 25 से 30 का खर्च आता है कम से कम 35 से 35 रुपया प्रति किलोग्राम बचत होती है।

Q. विश्व मे सबसे जायदा मशरूम की खेती किस देश मे की जाती है ?

Ans – चीन

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