खोरठा भाषा में पत्र लेखन | khortha bhasha patra lekhan
खोरठा में पत्र लेखन हेतु मार्ग दर्शन : पत्र लेखन एक कला है ।एक अच्छा पत्र वह होता है , जिसमें संक्षेंप में सरल भाषा अपनी बात व्यक्त की गई हो ।आप भी एक अच्छा पत्र लिख सकतें है
खोरठा में पत्र लेखन हेतु मार्ग दर्शन : पत्र लेखन एक कला है ।एक अच्छा पत्र वह होता है , जिसमें संक्षेंप में सरल भाषा अपनी बात व्यक्त की गई हो ।आप भी एक अच्छा पत्र लिख सकतें है
मुहड़ालटखु आ बकओटा तली एकदा एकअम बक ही मुहड़ा नू बरअर अदि घी मनेन बदल ई मलता बिहइत ओंदरई ।
( उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले आकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाता है, उपसर्ग कहलाते हैं ।)
मुंज्जालटखु (प्रत्यय) :– एका बकओटा बक ही मुंज्जा नू बरई , अदिन मुंज्जालटखु बअनर ।
( जो शब्दांश शब्दों के बाद लगाये जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते है । )
जो शब्दों से पहले लगकर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देतें हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं ।
प्रश्न 1. झारखंड राज्य की कुल भूमि के लगभग कितने प्रतिशत हिस्से पर कृषि कार्य किया जाता है ?
(A) 50%
(B) 15%
(C) 23%
(D) 35%
1. डाल्टन विधि :- हेलन पार्कहर्स्ट
2. किंडर गार्डन विधि :- फ्रोबेल
नागपुरी भाषा साहित्य पाठ्यक्रम 1. व्याकरण – वर्ण,संज्ञा,सर्वनाम,लिंग,वचन,कारक,विशेषण,क्रिया विशेषण,अव्यय,उपसर्ग,प्रत्यय,काल, क्रिया,वाक्य,समास,अनेक शब्द के बदले एक शब्द, विलोम शब्द, समानार्थी शब्द,मुहावरे एवं कहवाते,वाक्य शुद्धि । 2. साहित्य – (क) नागपुरी लोक साहित्य – लोक गीत, लोक कथा ,पहेली,कहावत, मुहावरे । (ख) लोक गीत – डमकच ,पावस,उदासी,फगुवा पंचरंगी, फगुवा पुछारी ,झूमर,अंगनई, लहसुआ झुमआ, सोहराई गीत । (ग) नागपुरी … Read more
नागपुरी संस्थान पिठोरिया में स्थापित है। इस संस्थान ने नागपुरी भाषा के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
नागपुरी भाषा में हिन्दी की तरह हीं एक शब्द के कई रूपों का प्रयोग किया जाता हैं ।उसे नागपुरी भाषा में पर्यायवाची शब्द कहते हैं ।
शब्द विलोम शब्द शब्द विलोम शब्द
ढाँगा ढ़ेपचा लम्बा नाटा
ढाँगी ढ़ेपची लम्बी नाटी
थुल-थुल लिटिर-पिटिर मोटा दुबला-पतला
गठन = 15 नवंबर, 2000 राजधानी = राँची जनसंख्या = 3,29,88,134 क्षेत्रफल = 79,710 वर्ग किमी. कुल ज़िले = 24 स्थान उच्च न्यायालय = राँची राजकीय पशु : हाथी राजकीय पुष्प : पलाश राजकीय पक्षी : कोयल राजकीय वृक्ष : साल संथाल जाति की प्रमुख लोककला : जादोपटिया जनजातीय पर्व : सरहुल सामान्य जानकारी झारखंड … Read more
जो शब्दांश शब्दों के बाद लगकर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते है ,प्रत्यय कहलाते हैं।
हिन्दी भासा जइसन खोरठा में अरथ वाला गुइल -गाहाइर जेके कोनों अरथ निकले ओकरा सबद कहल जा हे।
होड़ो जगर मुंडिं देवनागरी लिपि रे आद् होड़ो जगर आते हिनदी रे उलथा इदि अकना ।हिनदी पनढ़वको ,ओकोए होड़ो जगर काको इतुनवा आद् होड़ो होनकोएओ खलते पढ़व अर बुजव को दड़िअः ।
रेशम की सर्वप्रथम खोज चीन ने किया था ।भारत दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
अर्थशास्त्र के संरक्षक इतिहासकार और रामशास्त्री के अनुसार झारखंड क्षेत्र चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में शामिल था। परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र निवास करने वाली आटवीं जातियों पर अशोक का नियंत्रण स्थापित था। अशोक के 13वें शिलालेख में आटवीं के नाम का उल्लेख हुआ है।
झारखण्ड में बौद्ध धर्म का इतिहास बौद्ध धर्म का झारखंड क्षेत्र से गहरा संबंध था| डॉ. विरोत्तम ने अपनी रचना ” झारखंड: इतिहास एवं संस्कृति ” मैं गौतम बुध की जन्मभूमि झारखंड को बताया है| जिसे तथ्य नकारते हैं| इसका प्रमाण पलामू के मूर्तियां गांव से प्राप्त सिंह मस्तक है| यह अवशेष वर्तमान में रांची विश्वविद्यालय … Read more
झारखंड क्षेत्र से उत्तर मौर्यकालीन शासकों इंडोग्रीक (indo-greek ),सुफियान ,कुषाण तथा सिंहभूम में रोमन सम्राट के सिक्के हुए हैं ।
छोटानागपुर का नागवंश – प्रारंभिक प्रदेश राजवंशों में छोटानागपुर का नागवंश सबसे प्रसिद्ध रहा है ।
प्राचीन काल में छोटानागपुर एक पूर्ण वन क्षेत्र था। सघन वनों एवं पहाड़ियों से परिपूर्ण यह क्षेत्र कैमूर और विंध्य पहाड़ियों से घिरा था। असुर, खड़िया, बिरहोर यहां की प्राचीन जनजातियां हैं।