नागपुरी संस्थान पिठोरिया में स्थापित है। इस संस्थान ने नागपुरी भाषा के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इस संस्थान का मुख्य उदेश्य झारखंड को एक सांस्कृतिक प्रदेश के रूप में स्थापित करना था।इसके अंतर्गत झारखंड की भाषा, धर्म, जाति, साहित्य, गीत, लोक परंपरा और यहां के रीति रिवाज शामिल थे। यहां की संस्कृति आपसी मेल-मिलाप से रहने की है। नागपुरी संस्थान डॉ केसरी के जीवन का सबसे बड़ा स्मारक है। इसे बनाने के पीछे यह तर्क था कि विद्यार्थी-शोधार्थी यहां से शोध कर झारखंड को बौद्घिक रूप से संपन्न बनाएं।
डॉ गिरिधारी राम गौंझू ने कहा कि उनका सपना था कि यहां की भाषा-संस्कृति की रक्षा के लिए लोग शिक्षा प्राप्त करें। महादेव टोप्पो ने का कि डॉ केसरी सहिया परंपरा को हरहाल में बचाना चाहते थे। यह परंपरा आपसी एकता को बनाए रखने में सबसे कारगर है।