सोहराई कला | सोहराय पेंटिंग | Sohrai painting of jharkhand

इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है, इस पेंटिंग में पेंटिंग, जंगली जीव जंतुओं, पक्षी और पेड़ -पौधों को उकेरा जाता है ।

=> इन चित्रों में जनजातीय समाज अपने जानवरों के चित्र बनाते हैं।

=> इसमें कपड़े पर चित्रकला शैली में ‘J ‘ के मूलत: संथाल ,मुंडा, & उरावं, सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं को चित्रित किया जाता है।

=> वरिष्ठ कलाकार–> दिलेश्वर लोहरा ( FAMOUS ARTIST:- Mrs. PARWATI DEVI (CHARHI HAZARIBAG JHARKHAND)

=> यह एक प्राचीन चित्रकला है, यह प्रसिद्ध पर्व सोहराय से भी जुड़ी है, सोहराय पर्व दीपावली के 1 दिन बाद मनाया जाता है।

=> सोहराई पेंटिंग – वर्षा ऋतु के बाद लड़की लिपाई- पुताई से शुरू होती है, इस पेंटिंग में कला का देवता प्रजापति या पशुपति का। पशुपति को सांड की पीठ पर खड़ा चित्रित किया जाता है। उसका शरीर डमरु की आकृति का होता है।

=> चित्रण शैली के लिहाज से सोहराय की दो अलग-अलग शैलियां है:–

1:– कुर्मी सोहराय

2::–मंझू सोहराय

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