संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम , 1949 MCQ

प्रश्न 1. संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 कि किस धारा के तहत किसी पहाड़िया गांव में बंजर भूमि का बंदोबस्त गैर पहाड़िया के साथ नहीं किया जा सकता है ?
(A) धारा 40
(B) धारा 41
(C) धारा 42
(D)  धारा 45

मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य

मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य

मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य मगध राज्य के फैलाव एवं सांस्कृतिक विशिष्टएँ 1 –   उत्तर गंगा नदी तक।दक्षिण –बिन्धय की पहाड़ियों तक। 2 –   उत्तर पूर्व मूंगेर (मुद्गगिरी )।पश्चिम –आधुनिक चुनार तक। 3 –  गंगा के दक्षिण मगधों का राज ।पूर्व में अंगों का ।उत्तर में में विदेहों का ।…

jtet Urdu 2016 previous year question paper | download PDF

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jtet Urdu 2016 previous year question paper Download PDF Read also : Jtet -2012 ( I-V ) (भाषा कुँड़ुख़) Read also: Kurukh Language Facts Read also : 1.Jharkhand : General Information 2.All tribe of Jharkhand 3.National and International Important Days of October 4. jtet question paper 2016 pdf download 6.

सेंटिनलीज जनजाति | Sentinelese Tribe

सेंटिनलीज जनजाति | Sentinelese Tribe

यह जनजाति एक प्रतिबंधित उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर रहने वाली एक नेग्रिटो जनजाति है। 2011 के जनगणना आँकड़ों के अनुसार द्वीप पर इनकी संख्या 15 के आस-पास थी। जहाँ एक तरफ अंडमान द्वीप में चार नेग्रिटो जनजातियों- ग्रेट अंडमानी, ओंगे/ओंज, जारवा तथा सेंटिनलीज का निवास है तो वहीं दूसरी तरफ निकोबार में दो मंगोलॉइड…

हो भाषा में शरीर  के अंगों के नाम

हो भाषा में शरीर  के अंगों के नाम

होमों ( मंणा ) , कोंजा कोंबा नुतुम

हिन्दी में शरीर के अंगों नाम    हो भाषा में शरीर के अंगों के नाम

1-  सिर                                         बोअ

2- आँख                                         मेड़

कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण उपसर्ग (मुहड़ालटखु )

कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण उपसर्ग (मुहड़ालटखु )

मुहड़ालटखु आ बकओटा तली एकदा एकअम बक ही मुहड़ा नू बरअर अदि घी मनेन बदल ई मलता बिहइत ओंदरई ।
( उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी शब्द के पहले आकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाता है, उपसर्ग कहलाते  हैं ।)

  कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण मुंज्जालटखु (प्रत्यय)

  कुँड़ुख़ भाषा व्याकरण मुंज्जालटखु (प्रत्यय)

मुंज्जालटखु (प्रत्यय) :– एका बकओटा बक ही मुंज्जा नू बरई , अदिन मुंज्जालटखु बअनर ।

    ( जो शब्दांश शब्दों के बाद लगाये जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते है । )

झारखंड : सामान्य जानकारी (Jharkhand : General Information)

झारखंड : सामान्य जानकारी (Jharkhand : General Information)

गठन =  15 नवंबर, 2000 राजधानी  =  राँची जनसंख्या  = 3,29,88,134 क्षेत्रफल  = 79,710 वर्ग किमी. कुल ज़िले  =    24 स्थान उच्च न्यायालय   =   राँची राजकीय पशु : हाथी राजकीय पुष्प : पलाश राजकीय पक्षी : कोयल राजकीय वृक्ष : साल संथाल जाति की प्रमुख लोककला : जादोपटिया जनजातीय पर्व…

झारखण्ड में मौर्य साम्राज्य

अर्थशास्त्र के संरक्षक इतिहासकार और रामशास्त्री के अनुसार झारखंड क्षेत्र चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में शामिल था। परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र निवास करने वाली आटवीं जातियों पर अशोक का नियंत्रण स्थापित था। अशोक के 13वें शिलालेख में आटवीं के नाम का उल्लेख हुआ है। 

झारखण्ड में बौद्ध धर्म का इतिहास

झारखण्ड में बौद्ध धर्म का इतिहास बौद्ध धर्म का झारखंड क्षेत्र से गहरा संबंध था|  डॉ. विरोत्तम ने अपनी रचना  ” झारखंड: इतिहास एवं संस्कृति ” मैं गौतम बुध की जन्मभूमि झारखंड को बताया है| जिसे तथ्य नकारते हैं| इसका प्रमाण पलामू के मूर्तियां गांव से प्राप्त सिंह मस्तक है| यह…

झारखण्ड का उत्तर – मौर्य काल

झारखंड क्षेत्र से उत्तर मौर्यकालीन शासकों इंडोग्रीक (indo-greek ),सुफियान ,कुषाण तथा सिंहभूम में रोमन सम्राट के सिक्के हुए हैं ।

jharkhand mein prachin rajvansh | झारखण्ड के प्राचीन राजवंश | Ancient dynasties of Jharkhand

छोटानागपुर का नागवंश – प्रारंभिक प्रदेश राजवंशों में छोटानागपुर का नागवंश सबसे प्रसिद्ध रहा है ।

झारखण्ड का प्राचीन इतिहास

प्राचीन काल में छोटानागपुर एक पूर्ण वन क्षेत्र था। सघन वनों एवं पहाड़ियों से परिपूर्ण यह क्षेत्र कैमूर और विंध्य पहाड़ियों से घिरा था। असुर, खड़िया, बिरहोर यहां की प्राचीन जनजातियां हैं।

झारखंड में वैदिक युग

अनेक स्रोत यह बताते हैं कि झारखंड के अधिकांश जनजातियों वैदिक आर्य लोग जो ऋग्वैदिक युग में उत्तर पश्चिम भारत में तथा उत्तर-वैदिक युग में उत्तर भारत में अपना प्रसार कर रहे थे उनके विरोधी थी।

झारखंड में जैन धर्म का इतिहास

प्राचीन काल में मानभून जैन सभ्यता और संस्कृति का केंद्र था। झारखंड की पार्श्वनाथ पहाड़ी, कसाई और दामोदर नदी घाटी , तुईसामा , देवल , पाकबीरा , गोलमारा , पवनपुर ,पालमा , कतरास , गोडाम तथा पलामू जिले के हनुमाड गांव स्थित प्रमुख जैन स्थलों से जैन धर्म के प्रसार का साथ मिलता है।

झारखंड का इतिहास | History of Jharkhand

झारखंड का इतिहास एवं संस्कृति के प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक गौरवशाली परंपरा रही है। झारखंड का इतिहास एवं संस्कृति के निर्माण में जनजाति समाज का अमूल्य योगदान रहा है।