Sanskrtik jhagada khortha Kahani |सांस्कृतिक झगड़ा खोरठा कहानी

सांस्कृतिक झगड़ा खोरठा कहानी

(I)सभ्यता का जर – संस्कार और संस्कृति

(II) संस्कृति का जर – आदमी के रहन – सहन /व्यवहार – विचार , किसी देश का विकास

(III) तीन प्रकार के मानव जाति का उल्लेख  – अस्ट्रेलियन ,म्ंगोलियन ,

 और द्रविड़यन ।

(IV) भारत में दो प्रकार के संस्कार का विकास हुआ है-

(i) प्राकृतिक संस्कृति /आर्य /सनातन संस्कृति –प्राचीनतम और परम्परा

(ii) अनार्य संस्कृति /आक्षुक – आधुनिकता और नविन

 कुछ नहीं जानते हैं ,इस बात पर अनार्य के लोग हसते है ।

 आर्य संस्कृति  – तुम सब हमको सिखाएगा की हम कुछ नहीं जानते हैं ,इस बात पर अनार्य के लोग हस्ते है ।

 आझुक संस्कृति – अरे  बाबा होश में आएंगे दुनिया कहां से कहां पहुँच गया और अभी तक आपलोग बोन के भीतर डोलपात खोलते हैं ।

 सनातनी – हमारे बिन तोर कल्याण नहीं जितना शांति हम अरेहते  है तुम नहीं  रह पावोगे । रुपया पैसा में  आगे , गाड़ी घोडा में आगे लेकिन सुख शांति नहीं पावोगे ,सब दिन हाय – हाय करते रहते है ।

 नया संस्कृति – अपना चीज खोते जा रहे हो और हमको समझा रहे तुम्हारा चीज़ छूने से हमको क्या मिलेगा ।

 सनातनी – हमलोग तेज इसलिए उल्टा – पुल्टा समझा रहे हो तुमलोग आदिवासी के जमी हथिया लिया । लूट रहे हो तुमलोग । हम नहीं समझेंगे ।

   सनातनी – तुम हमको चिढ़ाते हो काहे ।

 नया – इ बात नहीं है हम दोनों अपने जगह है । हम समय के साथ  आगे निकल रहे है और तोर करम ,सोहराय ,सरहुल  ,टुसू पर्व  अब नेग भर रह गया है ।

 सनातनी –  इ सच बात है ।

 नया – चाल धीरे मेरा तेज । तुम जमीन पकड़ के चलते हो और हम उड़ते हैं ।जिधर हवा चलता हम उधर पीठ करते है और तुम धरम पर ।

 सनातनी बोला – तुम लोग को सुख नहीं है कूदो कांदो जितना नाम उतना बदनाम ।

नया – तुम  हमको नीति नहीं सिखवो शांति और मुक्ति  हमारा नीति शास्त्र नहीं है । जनशक्ति हमारा विचार धरा है ।  

 सनातनी –  रोज़ मंदिर मसिजद जाते हो पूजा पाठ करते हो ,तीरथ ,हज कर रहे हो ,अगर तुमको शांति नहीं पसंद तो कहे इ सब के लिए मार काट तोड़ – फोड़ कर रहे हो । सनातनी नया पीढी को चुप करा देता है ।

 नया बोला – हमलोग अलग नहीं है मेरे बिना तुम नहीं और तुम्हारे बिना हम नहीं चोली दामन का रिस्ता है । हमे मिलजुल कर रहना चाहिए ।

 सनातनी बोला – तुम तो दुनिया में आग लगा रहे हो ज्ञान – विज्ञान का ढोंग करके दुनिया बर्बाद कर रहे हो ।हम शांतिप्रिय और तुम अशांतिप्रिय हो उग्रवाद ,नक्सलवाद तुम्हारा जन्म दिया है ।

 नया बोला – इ झूठा आरोप  है नासमझी अंहंकारी राजनीति प्रतिवंदी के कारण है । नक्सलवाद  तर भेद – भाव उच्च नीच गरीब अमीर इस सब को सही ढंग से निपटने की कोसिस नहीं होती प्रसासन और पोलिस का जुल्म और बढ़ गया है ।

 सनातनी बोला – तुम्हारा अंदाज हमको अच्छा लगा लेकिन तुम पीढी को गुमराह कर रहे हो ।

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