झारखंड के पर्व त्योहार |Festival of Jharkhand | Jharkhand ke parv-tyohar
झारखंड में पूरे हर्षोल्लास के साथ त्योहारों को मनाया जाता है झारखंड राज्य में बनाए जाने वाले त्योहारों झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है हालांकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी देवारा के उत्सव में होता है।
झारखंड के पर्व त्योहार
=>1- करमा पर्व प्रकृति संबंधित त्यौहार है, यह त्यौहार भाद्रपद माह में मनाया जाता है, अर्थात भादो एकादशी मनाया जाता है। इस त्यौहार का प्रमुख संदेश कर्म की जीवन प्रधानता है इस त्यौहार में ‘ जावा ‘ को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। आदिवासी व सदानों में समान रूप से प्रचलिंत है। यह पर्व हिंदूओं के भाई दूज पर्व की भांतिं भाई-बहन के प्रेम का पर्व है।
करमा पूजा की दो श्रेणियां है:-
(1):- देश करमा :- इसमें मुख्यता: अखरा में की जाने वाली सामूहिक पूजा है।
(2):- राज्य करमा:– इसमें घर के आंगन में की जाने वाली पारिवारिक पूजा होती है।
2.सरहुल :– यह जनजातियों का सबसे बड़ा पर्व है , यह प्रकृति से संबंधित त्यौहार है, यह चैत माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस पर्व में चावल मुर्गी का मांस मिलाकर ‘ सूड़ी ‘ नामक खिचड़ी बनाई जाती है जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है । सरहुल पूजा के दौरान पाहन, पुजारी,नेगना तीन अलग -अलग रंग के युवा मुर्गा प्रदान करते हैं।
1. सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए
2. गांव के देवताओं के लिए
3. गांव के पूर्वजों के लिए
=> गांव के पुजारी ग्रामीण को साल के फूल जावा वितरित करते हैं और तो और भी हर घर की छप्पर पर इन फूलों को डालते है, जिसे दूसरे शब्दों में फुल खोशी भी कहा जाता है। पूजा समाप्ति के बाद ग्रामीण लोग हड़िया पेय पदार्थ पीते हैं यह त्यौहार छोटा नागपुर की इस क्षेत्र में लगभग सप्ताह भर पर मनाया जाता है।
=> कोलाहन क्षेत्र में इस त्यौहार को’ बा पोरोब’ कहा जाता है, इसका अर्थ फूलों का त्यौहार भी होता है।
3. मंडा पर्व :– इस पर्व में रखने वाले पुरुष व्रती को भगत और महिला व्रती को सोखताइन कहते हैं।
4. सोहराई :– यह पर दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है । यह पर्व संथाल प्रजाति का का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व को मनाने से पूर्व जनजाति समुदायों द्वारा अपने घरों की दीवारों को सुशोभित रुप से रंगों में रंगा जाता है।
5. टुसू पर्व:– यह सूर्य पूजा से संबंधित त्यौहार है। इसमें सूर्य की पूजा अर्चना बड़ी धूमधाम से की जाती है, इस पर्व के दौरान लड़कियों के द्वारा रंगीन कागज से लकड़ी या बाद एक फ्रेम सजाया जाता है, तथा इसे के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवाहित किसी नदी को भेंट कर दिया जाता है।
मकर संक्रांति से शुरू होने वाला पर्व समानता एक माह तक चलता है। यह मुख्य रूप से कुरमाली और झारखंड के आदिवासियों में टूसू पर्व ,मकर पर्व,पूस पर्व,तीनो नाम से जाना जाता है।
6.जितिया:–यह पर्व मुख्यतः माँ एवं पुत्र के बीच अतुल्य प्रेम की दिव्य चमक के रूप में ममता को प्रदर्शित करता है ,इस पर्व में मुख्यतः माँ अपने बच्चों अर्थात अपने पुत्र के दीर्घायु जीवन के लिए तथा उसकी सुख समृद्धिके लिए व्रत रखती है।
7.भाई भीख :–भाई भिख भी ऐसा पर्व है जो 12 वर्ष में एक बार मनाया जाता है ,इस पर्व में बहन अपने भाई के घर से भिक्षा मांगकर अनाज लाती है तथा एक निश्चित दिन निमत्रंण देकर अपने भाई अपने घर पर भोजन कराती है।
8.जनी शिकार:- यह शिकार कुरुख महिलाओं द्वारा बख्तियार खिलजी( अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति) को भगा देने के याद में किया जाता है। जो रोहतारागढ़ में त्यौहार के नव वर्ष के अवसर पर का कब्जा करना चाहता था।
9.आसाढ़ी पूजा:- आषाढ़ माह मनाए जाने वाले इस पर्व में घर आंगन मैं बकरी की बलि दी जाती है, तथा हरिया का तपान चढ़ाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस बार को मनाने से गांव में चेचक जैसी बीमारियां का प्रकोप नहीं होता है।
10.चांडी पर्व :– यहां पर उराव जनजाति द्वारा मनाया जाता है, इस पर्व में महिलाएं भाग नहीं लेती हैं, तथा जिस परिवार में कोई महिला गर्भवती हो उस परिवार का पुरुष भी इस पर्व में भाग नहीं लेता।
11. वंदना:- इस पर्व का आयोजन कार्तिक : अमावस्या में किया जाता है, या पर काले चंद्रमा के दौरान मनाया जाता है। सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, यह त्यौहार मुख्य रूप से जानवरों के लिए है, आदिवासी जानवरों और पालतू जानवरों के साथ बहुत करीब होते हैं। इस त्यौहार में लोग अपनी गाय एवं बैलो को नहलाते है, साफ करते हैं, इस त्यौहार के गीत को “ओहीरा” कहते हैं। जो पशुओं को समर्पित होते हैं, इस दीवार के पीछे धरना यह है कि पशु हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, के अंदर भी इंसान जैसे ही आत्मा होती है।
12ं. रोहिणी:-/ रोहिन:-:– झारखंड राज्य का प्रथम त्यौहार है, इस त्यौहार प्रारंभ के दिन में किसानों द्वारा खेतों में बीज बोने की शुरुआत की जाती है, इस त्यौहार को मनाने के दौरान किसी प्रकार का नित्य प्रदर्शन या लोकगीत गाया नहीं किया जाता है।
13. एरोक पर्व:- यह पर्व संथाल जनजाति के द्वारा मनाया जाता है:-, या आषाढ़ के महीने में बीज बोते समय मनाया जाने वाला पर्व है।
14.हरियाड़ पर्व:– इस पर्व को संथाल जनजाति के द्वारा ही मनाया जाता है, धान में हरियाली आने पर अच्छी फसल आने के लिए इस पर्व को सावन महीने मनाया जाता है।
15. साकरात पर्व:- इस पर्व को भी संथाल जनजाति द्वारा मनाया जाता है:-, यह प्रमुखता माता के लिए एवं जीवन के लिए मनाया जाता है।
16. बाहा पर्व:- व्यापार भी संथाल जनजाति के द्वारा मनाए:-, व्यापार व फागुन माह में मनाया जाता है जिसमें लोग शुद्ध जल से होली खेलते हैं, अर्थात से शुद्ध जल से आने वाली होली का त्यौहार भी कहा जाता है।
17.जतरा पर्व — यह पर्व उराव जनजाति के द्वारा मनाया जाता है, यह कार्तिक माह में मनाया जाने वाला पर्व है।
18.जंकोर पर्व:- यह पर्व खड़िया जनजातियों द्वारा मनाया जाता है, जाखड़िया जनजाति का वंश उत्सव है।
19. मक्का सेंदरा:– इस पर्व के दौरान जनजातियां महिलाएं पुरुष के कपड़े पहनकर दिनभर पशुओं का शिकार करती है।
20. कुटसी पर्व:-कुटसी पर्व असुरों द्वारा मनाया जाता है, यह प्रमुखता लोहा गलाने के उद्योग की उन्नति के लिए मनाया जाता है।
21. गांगी आड़या:- यह पर्व माल पहाड़ियों के द्वारा मनाया जाता है, या मुख्यता: के काटने के उपलक्ष पर भादो माह में महीने मनाया जाता है।