परिभासा
नागपुरी लोक भाषा हेके सेके इकर में लिंग निर्नय कर बगरा समस्या नखे । लिंग कर माने होवेला जेकर से पुरुष (पुरुख) चाहे स्त्री (जनी) जात के पहचान होवे ।
चाहे
संज्ञा कर जोन रूप से अदमी चाहे जिनिस कर नर चाहे मादा जाइत कर बोध होवे उके बेयाकरन में लिंग कहल जायला ।
लिंग कर पता संज्ञा से चलेला । संज्ञा कर मोताबिक लिंग नि चलेला । संज्ञा चाहे सर्वनाम आपन ठाँव में थीर रहेला । इसन उदाहरण संस्कृत,बंगला जइसन विकसित भासाव में मिलेला ।
नागपुरी में मुध रूप से दुइ गो लिंग होवेला –
(क) पुलिंग
(ख) स्त्रीलिंग
केऊ केऊ विद्वान मन उभयलिंग आउर बेलिंगो कर चरचा कइर हँय ।
लिंग परिवर्तन के नियम =
(क) नागपुरी में लिंग बदलेक ले पुलिंग कर आखिर में – इ, इन, आइन, जोइड़ के स्त्रीलिंग बनाल जायेला इकर अलावे बहुत सबद मनक निजे स्त्रीलिंग हय । जयसे –
मरद – जनि
गरू – गाय
बाप – माँय
बकरा – छगरी
(ख) पुलिंग के आखरी में ‘ इ ’ जोइड़ के स्त्रीलिंग बनाल जायला।
जयसे –
छोंड़ा – छोंड़ी
बाछा – बाछी
घोड़ा – घोड़ी
गधा – गधी
छोटका – छोटकी
झगराहा – झगराही
बिसाहा – बिसाही
लेढा – लेढ़ी
खैंटा – खैंटी
(ग) ‘ इन ’ जोइड़ के पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाल जायला।
जयसे –
बाघ – बाघिन
सांढ़ – सांढ़िन
बामहन – बामहनिन
मालिक – मालकिन
धांगर – धंगरिन
जोगी – जोगिन
समधी – समधिन
(घ) ‘ आइन ’ जोइड़ के पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाल जायला।
जयसे –
भगत – भगताइन
पाँड़े – पँड़ियाइन
ठाकुर – ठाकुराइन
मिसिर – मिसिराइन
नागपुरी में बेंजान ,छोट चीज़ चाहे ‘ प्राणी ’ उभय लिंग मानल जायँना ।
जयसे – ढिला, चिमटी, लीख, चील्हर, पखना, पानी, लोहा, गुड़ – गुड़, डोरा, बाल्टी ,मने ।