मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य
मगही भाषा व्याकरण एवं साहित्य
मगध राज्य के फैलाव एवं सांस्कृतिक विशिष्टएँ
1 – उत्तर गंगा नदी तक।दक्षिण –बिन्धय की पहाड़ियों तक।
2 – उत्तर पूर्व मूंगेर (मुद्गगिरी )।पश्चिम –आधुनिक चुनार तक।
3 – गंगा के दक्षिण मगधों का राज ।पूर्व में अंगों का ।उत्तर में में विदेहों का ।
4 – विदेह राज और कोशल राज को अलग करने वाली सदानीर गण्डकी नदी ।
5 – छोटानागपुर क्षेत्र ‘ कीकट ’ देश –राजा प्रमगन्द (नास्तिक ) ।
6 – अनार्यों का निवास स्थान ( कीकट = पुराना मगध )
7- ‘ मगन्द ’ का ही विकृत रूप ‘ मगध ’ ।
8 – ‘ व्रात ’, ब्रात्य , मागध साथ – साथ कीकट ( कुछ नहीं करने वाला ) थे ।
9 – मग = सूद ( लेने वाला मगध ) = ब्रात्य शिवपूजक थे।
10- महाभारत में व्रात्यों को महापातकियों में गिना गया है ।
11- वैदिक संस्कृति और ब्रात्य संस्कृति का संघटन सर्वप्रथम मगध में हुआ ।
12- सम्भवतः विद्रोही आर्य टोली ही व्रात्य कही जाने लगी ।
13- दूसरी ओर व्रात्य भ्रमणशील पुण्यात्मा और श्रेष्ठ माने गए हैं ।
14- आर्यों की छोटी-छोटी टोली ‘ जन ’ ( कबीला ) का पर्यायवाची है।
15- आर्यवंशों में सबसे मुख्य मानव ‘ ऐल वंश ’ है जिसका संस्थापक – राजा पुरूरवा था ।
16- तितिक्षु बिहार में राज्य कर रहा था ।उसी समय आर्य – राजा ‘ कुश ’ कान्यकुण्ज में
राज का रहा था । कुश के छोटे पुत्र ‘ अमूर्त रयस ’ का पुत्र ‘ गय ’ था । जिसने ‘ गया ’ नगरी बसायी ।
17- मगध के निवासियों की चर्चा इन चार नामों –कीकट ,मगध ,मागध ब्रात्य से हुई है।
18-पुंक्ष्चली =वैश्या , व्यभिचारिणी ।
19 – मगध देशीय ब्राहम्ण ‘ ब्राहम्बंधु ’ अर्थात संस्कारच्युत ब्राहम्ण ।
20 – वैदिक साहित्य में मगध की केवल निन्दा ही की गयी है ।
21 – मागध पहले त्याज्य घोषित हुए ,फिर प्रायश्चित के बाद इन्हे अपना लेने का विधान हुआ ।अथर्ववेद की रचना यहीं की गयी ,यहीं के लोगों द्वारा।
22 – वृहद्रथ –मगध का सम्राट और जरासंध का पिता ।
23 – महातपस्वी ब्रहम्पुत्र कुश के श्रेष्ठ चार पुत्र थे जिनमें एक था राजा बसु ।( गिरीब्रज – राजगृह को बसाने वाले )। अमूर्त्त रयस भी कुश का ही पुत्र था जिसके पुत्र ‘ गय ’ ने ‘ गया ’ नगर बसाया ।
24 – जरासन्ध और महापद्मनन्द को असुर और शुद्र कहा गया ।
25 – वृहद्रथ के पिता राजा बसु थे ।
26 – वृहद्रथ की आठवीं पीढ़ी में जरासंध हुआ जिसका बेटा सहदेव । सहदेव का पुत्र –सोमाधि /सोमधि से रिपुंजय तक 22 राजा मगध में हुए ।
27 – रिपुंजय के बाद भट्टिय ने अपने पुत्र बिम्बिसार को मगध की गद्दी पर बिठाया। बिम्बिसार का पुत्र अजातशत्रु और अजातशत्रु का पुत्र उदयी । उदयी ने पटना नगर बसाया ।