खोरठा  व्याकरण उपसर्ग (उपसरग ) |khortha vyakaran upsarg

खोरठा  व्याकरण उपसर्ग (उपसरग )

जो शब्दों से पहले लगकर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देतें हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं ।

Best 35 Mcq of Jharkhand Agriculture ( झारखंड की कृषि)

प्रश्न 1. झारखंड राज्य की कुल भूमि के लगभग कितने प्रतिशत हिस्से पर कृषि कार्य किया जाता है ?

(A) 50%

(B) 15%

(C) 23%

(D) 35%

Teaching Method pdf | शिक्षण विधियां pdf

शिक्षण विधियां pdf

1. डाल्टन विधि :- हेलन पार्कहर्स्ट
2. किंडर गार्डन विधि :- फ्रोबेल

JSSC NAGPURI LITERATURE AND LANGUAGE SYLLABUS

JSSC NAGPURI LITERATURE AND LANGUAGE SYLLABUS

नागपुरी भाषा साहित्य पाठ्यक्रम 1. व्याकरण – वर्ण,संज्ञा,सर्वनाम,लिंग,वचन,कारक,विशेषण,क्रिया विशेषण,अव्यय,उपसर्ग,प्रत्यय,काल, क्रिया,वाक्य,समास,अनेक शब्द के बदले एक शब्द, विलोम शब्द, समानार्थी शब्द,मुहावरे एवं कहवाते,वाक्य शुद्धि । 2. साहित्य – (क) नागपुरी लोक साहित्य – लोक गीत, लोक    कथा ,पहेली,कहावत, मुहावरे । (ख) लोक गीत – डमकच ,पावस,उदासी,फगुवा पंचरंगी, फगुवा पुछारी ,झूमर,अंगनई, लहसुआ झुमआ, सोहराई गीत । (ग) नागपुरी … Read more

नागपुरी संस्थान

नागपुरी संस्थान पिठोरिया में स्थापित है। इस संस्थान ने नागपुरी भाषा के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

नागपुरी व्याकरण के पर्यायवाची शब्द

नागपुरी व्याकरण के पर्यायवाची शब्द

नागपुरी भाषा में हिन्दी की तरह हीं एक शब्द के कई रूपों का प्रयोग किया जाता हैं ।उसे नागपुरी भाषा में पर्यायवाची शब्द कहते हैं ।

नागपुरी व्याकरण विलोम शब्द  (  उल्टा शब्द )

नागपुरी व्याकरण विलोम शब्द  (  उल्टा शब्द )

शब्द       विलोम शब्द       शब्द         विलोम शब्द

ढाँगा           ढ़ेपचा             लम्बा                  नाटा

ढाँगी           ढ़ेपची             लम्बी                  नाटी

थुल-थुल     लिटिर-पिटिर    मोटा       दुबला-पतला

झारखंड : सामान्य जानकारी (Jharkhand : General Information)

झारखंड

गठन =  15 नवंबर, 2000 राजधानी  =  राँची जनसंख्या  = 3,29,88,134 क्षेत्रफल  = 79,710 वर्ग किमी. कुल ज़िले  =    24 स्थान उच्च न्यायालय   =   राँची राजकीय पशु : हाथी राजकीय पुष्प : पलाश राजकीय पक्षी : कोयल राजकीय वृक्ष : साल संथाल जाति की प्रमुख लोककला : जादोपटिया जनजातीय पर्व : सरहुल सामान्य जानकारी   झारखंड … Read more

खोरठा भाषा में प्रत्यय ( परतइय )|khortha bhasha mien pratyay

खोरठा भाषा में प्रत्यय

जो शब्दांश शब्दों के बाद लगकर उनके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं या उसके अर्थ को बदल देते है ,प्रत्यय कहलाते हैं।

खोरठा शब्द विचार ( सबद विचार )|khortha sabd vichar

खोरठा शब्द विचार

हिन्दी भासा जइसन खोरठा में अरथ वाला गुइल -गाहाइर जेके कोनों अरथ निकले ओकरा सबद कहल जा हे।

मुण्डारी व्याकरण की भाषा और अक्षर | होड़ो जगर मुंडि रेअः जगर ओड़ोः बनि 

मुण्डारी व्याकरण

होड़ो जगर मुंडिं  देवनागरी लिपि रे आद् होड़ो जगर आते हिनदी रे उलथा इदि अकना ।हिनदी पनढ़वको ,ओकोए होड़ो जगर काको इतुनवा आद् होड़ो होनकोएओ खलते पढ़व अर बुजव को दड़िअः ।

झारखण्ड में मौर्य साम्राज्य

अर्थशास्त्र के संरक्षक इतिहासकार और रामशास्त्री के अनुसार झारखंड क्षेत्र चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में शामिल था। परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र निवास करने वाली आटवीं जातियों पर अशोक का नियंत्रण स्थापित था। अशोक के 13वें शिलालेख में आटवीं के नाम का उल्लेख हुआ है। 

झारखण्ड में बौद्ध धर्म का इतिहास

झारखण्ड में बौद्ध धर्म का इतिहास बौद्ध धर्म का झारखंड क्षेत्र से गहरा संबंध था|  डॉ. विरोत्तम ने अपनी रचना  ” झारखंड: इतिहास एवं संस्कृति ” मैं गौतम बुध की जन्मभूमि झारखंड को बताया है| जिसे तथ्य नकारते हैं| इसका प्रमाण पलामू के मूर्तियां गांव से प्राप्त सिंह मस्तक है| यह अवशेष वर्तमान में रांची विश्वविद्यालय … Read more

झारखण्ड का उत्तर – मौर्य काल

झारखंड क्षेत्र से उत्तर मौर्यकालीन शासकों इंडोग्रीक (indo-greek ),सुफियान ,कुषाण तथा सिंहभूम में रोमन सम्राट के सिक्के हुए हैं ।

jharkhand mein prachin rajvansh | झारखण्ड के प्राचीन राजवंश | Ancient dynasties of Jharkhand

छोटानागपुर का नागवंश – प्रारंभिक प्रदेश राजवंशों में छोटानागपुर का नागवंश सबसे प्रसिद्ध रहा है ।

झारखण्ड का प्राचीन इतिहास

प्राचीन काल में छोटानागपुर एक पूर्ण वन क्षेत्र था। सघन वनों एवं पहाड़ियों से परिपूर्ण यह क्षेत्र कैमूर और विंध्य पहाड़ियों से घिरा था। असुर, खड़िया, बिरहोर यहां की प्राचीन जनजातियां हैं।

झारखंड में वैदिक युग

अनेक स्रोत यह बताते हैं कि झारखंड के अधिकांश जनजातियों वैदिक आर्य लोग जो ऋग्वैदिक युग में उत्तर पश्चिम भारत में तथा उत्तर-वैदिक युग में उत्तर भारत में अपना प्रसार कर रहे थे उनके विरोधी थी।

झारखंड में जैन धर्म का इतिहास

प्राचीन काल में मानभून जैन सभ्यता और संस्कृति का केंद्र था। झारखंड की पार्श्वनाथ पहाड़ी, कसाई और दामोदर नदी घाटी , तुईसामा , देवल , पाकबीरा , गोलमारा , पवनपुर ,पालमा , कतरास , गोडाम तथा पलामू जिले के हनुमाड गांव स्थित प्रमुख जैन स्थलों से जैन धर्म के प्रसार का साथ मिलता है।

 नागपुरी भासा मुहाबरा

1. कपार बथेक – तकलीफ होवेक

2. काठ मारेक – हतप्रभ होवेक

3. कपार फाटेक – नसीब खराब होवेक

4. करजा ठंढा होवेक – बदला पूरा होवेक