संथाली भाषा व्याकरण  संज्ञा  ( ञुनुम )

Santhali bhasha vyakaran (Sangya)|संथाली भाषा व्याकरण संज्ञा ( ञुनुम )|Santhali language grammar (Noun)

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संथाली भाषा व्याकरण संज्ञा ( ञुनुम )

# संज्ञा  ( ञुनुम ) :– किसी व्यक्ति ,वस्तु आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं ।जैसे :- होड़ , गाय  मोहोन ।

#संताली भाषा संज्ञा मुख्यतः सजीव और निर्जीव अर्थात् प्राणिवाचक और अप्राणिवाचक (वस्तुवाचक ) दो भागों में बांटी गयी है।

(क)- प्राणिवाचक संज्ञा :à मनुष्य और जीवित के अलावे देवी ,प्राकृतिक शक्ति , देवी ,देवता ,भूतप्रेत ,सूर्य चन्द्रमा ,तारे ,नक्षत्र ,ग्रह ,मूर्ति एवं चित्र प्राणिवाचक कहलाते हैं ।

जैसे – होड़-व्यक्ति  , गाय -डागंरा-गायबैल ,मुच-चींटी , सिञ चान्दो – सूर्य ,ञिन्दा चान्दो –चांद ,चेड़े-चिड़िया ,गिदरा –बच्चा ,गोडो –चूहा ,हाँडू-हनुमान ,किसनी – मैना ,काहू –कौआ , इपिल-तारा ,बोंगा – भूत ,हाको –मछली ।

(ख) अप्राणिवाचक संज्ञा :à  ऊपर के शब्द को छोड़कर सभी निर्जीव वस्तुएँ, मनुष्य के अंग ,जीवों के अंग  ,पेड़- पौधों , अप्राणिवाचक संज्ञा कहलाते हैं ।

जैसे – ओत्-धरती ,बुरू-पहाड़ ,बिर-जंगल ,दारे –पेड़ ,रेहेत् – जड़ ,बाहा – फूल  ,साकाभ-पत्ता ,दाका – भात ,जोन्डारा – मकई ,पारकोलेम –खटिया ,सुताम –  धागा ,किचरिच –कपड़ा ,कोलोम – कलम ,धिरी – पत्थर , जांगा – पैर , मूँ- नाक ,लुतुर – कान ,पुथी –पुस्तक ,सेरमा -आकाश ।

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