Tilka Manjhi ki jivani | तिलका माँझी की जीवनी खोरठा भाषा |Biography of Tilka Manjhi in Khortha language
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Tilka Manjhi ki jivani
तिलका मांझी का जनम 1750 ईस्वीञ् सुलतान गंज थानाक तिलकपुर गाँवें हेल रहे । ऊ संवतार ( संथाल ) जाइत कर रहे ।छउवे पहर जाइत कर रहे । छउवे पहर से ऊ हुबगर ,बलगर ,साहसगर ,आर तीरंदाज रहे ।तीर चलवे आर गुलेल चलवे में ऊ माहिर रहे । जइसे जइसे उमइर बाढ़े लागल ओकर मने सोसन – अतियाचार कर बिरोधे मन कों कोंउधे लागल ।जुवान भेल बादे ऊ गुरीला लड़ाय करेक ठानल आर एगो संगठन बनावल । ऊ आपन संगी संगे अंगरेज़ खातिर ऊ आतंक कर पर्याय बनी गेल।आइसे चुआड़ विद्रोह (1767) कर चलते अंगरेज़ सरकार परेशान रहे।
1773 ईस्वीञ क्वींसलैंड नामेक अंगरेज़ के सुपरीटेंडेंट अफसर बनाय के भागलपुर भेजल। ई अफसर ढेइर चालाक रहे । ऊ एगो आपन सिपाही दल ( सैन्य टुकड़ी ) बनावल आर फूइट डाइल के कतेक पहाड़िया आदिवासी के आपने सिपाही दले भरती क्ररल । तिलका थिराइल नाञ मगुर आरो तेज बनल आर लुकाय के कखनो तीर से तो कखन्हू गुलेल से अंगरेज सब के मारे लागल । 1784 अइते ही खुलेआम । लड़ाय लड़ेक एलान करल । 13 जनवरी
दिने ऊ एगो गाछे बइस के ऊ डहरे आवइत क्वींसलैंड के तीरे बिंधी के मारल । तब तो पूरा अंगरेज फउद दहशत में आइ गेला । क्वींसलैंड के माराइल बादे वारेन हेस्टींग सुपरीटेंडेंन्ट बनी के भागलपुर आइल ।ऊ ढेइर सिपाही ( सेना ) लेइ के चले । एक दिन ऊ धोखा से धरा गेल आर चाइर गो घोड़ाञ पाघाञ बांधीके घिसीवले भागलपुर लानला आर एगो बोर गाछे टाँगी के दिन दहाड़े फाँसी देइ गेल ।ई नियर तिलका जयसन सपूत आपन चाइरो भाय संगे संग कतेक – कतेक संथाल कर जिनगी के सहीद करी के अमर भेल जउ जिनगी अंगरेज हुकुमत कर आगू हरदी नाञ् बोलल, आइझ ओकरा फांसी देल जगहें ओकर नामे चउक सड़कें बनवल गेल ।